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    मध्य प्रदेश में एक ही दिन में 1500 से अधिक स्थानों पर जलाई गई पराली, नहीं हो रही FIR

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं जारी हैं। नवंबर में पांच राज्यों में 21 हजार से अधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मामले हैं। सैटेलाइट से निगरानी के बावजूद कार्रवाई में ढिलाई बरती जा रही है, और भोपाल जैसे शहरों में एफआईआर तक दर्ज नहीं हो रही है। कोहरा पड़ने पर प्रदूषण का स्तर और भी बढ़ सकता है।

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    मध्य प्रदेश में एक ही दिन में 1500 से अधिक स्थानों पर जलाई गई पराली (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और कई शहरों में प्रदूषण का खतरनाक स्तर होने के बाद भी पराली जलाने की घटनाएं रुक नहीं पा रही हैं। स्थिति यह है कि नवंबर माह में अब तक इसके लिए संवेदनशील पांच बड़े राज्यों में पराली जलाने के 21 हजार 266 मामले सामने आए हैं।

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    इनमें अकेले मध्य प्रदेश में 11 हजार 442 यानी 50 प्रतिशत से अधिक मामले हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा सैटेलाइट से लिए गए चित्रों के अनुसार, चौंकाने वाली बात यह है कि गत 16 नवंबर को एक ही दिन में 1520 मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए हैं।

    इसी माह नवंबर में उत्तर प्रदेश में 3780, पंजाब में 3434, राजस्थान में 2104, हरियाणा में 3218 और दिल्ली में दो मामले दर्ज किए गए।बता दें कि सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से पराली जलाने के मामलों की निगरानी और पुष्टि की जाती है, लेकिन ऐसे मामले लगातार सामने आने के बाद भी पराली जलाने वालों पर कार्रवाई में ढिलाई की जा रही है।

    भोपाल में दर्ज नहीं हुई FIR

    मध्य प्रदेश का उदाहरण लें तो राजधानी भोपाल तक में एफआइआर दर्ज नहीं कराई जा रही है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश के चार महानगर- भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर की हवा में आए दिन प्रदूषण गहरा जाता है। प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन द्वारा सभी कलेक्टरों को पराली जलाने के मामले में कार्रवाई के निर्देश के बाद कुछ दिन प्रशासन ने सतर्कता दिखाई लेकिन फिर ढिलाई शुरू हो गई।

    पिछले पांच दिन में सिर्फ दतिया में एक किसान के विरुद्ध एफआइआर की जानकारी सामने आई है। अन्य सालों से तुलना करें तो नवंबर अंत तक पराली जलाने के मामलों की यही स्थिति रह सकती है। यह अच्छी बात है कि अभी कोहरा नहीं पड़ रहा है नहीं तो पराली के धुआं से प्रदूषण का स्तर वर्तमान से डेढ़ से दो गुना तक बढ़ सकता था।

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