'कर्तव्यों को सर्वोपरि रखें नागरिक', विकसित भारत के निर्माण के लिए पीएम मोदी की आम जनता से अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस पर नागरिकों से कर्तव्यों का पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कर्तव्य ही मजबूत लोकतंत्र की नींव हैं और 'विकसित भारत' के निर्माण में सहायक हैं। मोदी ने युवाओं को लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूक करने और मतदान के लिए प्रोत्साहित करने की बात कही। उन्होंने पिछली सरकार द्वारा संविधान के 60 साल पूरे होने का जश्न न मनाने की आलोचना की।

संविधान दिवस पर क्या बोले पीएम मोदी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत की परिकल्पना की ओर देश के अग्रसर होने का हवाला देते हुए आम लोगों से संविधान में दिए गए कर्तव्यों के पालन करने का आह्वान किया। संविधान दिवस पर आम जनता के नाम लिखे खुले पत्र में संविधान में लिखे कर्तव्यों को मजबूत लोकतंत्र की नींव बताया।
उन्होंने बताया कि किस तरह से संविधान ने उनके जैसे सामान्य परिवार के आने वाले को मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने का रास्ता प्रशस्त किया। उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों और देश के भविष्य को मजबूत करने के लिए युवाओं में मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत पर भी बल दिया।
पीएम मोदी ने बताया कैसे मिलता है अधिकार?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अधिकार भी कर्तव्यों के पालन से ही प्राप्त होते हैं और कर्तव्यों का निर्वहन ही सामाजिक और आर्थिक प्रगति की आधारशिला है। संविधान में मौलिक अधिकारों के साथ अनुच्छेद 51 ए नागरिक कर्तव्यों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसके पहले राजपथ का कर्तव्य पथ के रूप में और सचिवालय के नए भवनों को कर्तव्य भवन के रूप में नामकरण मोदी सरकार ने सरकारी कामकाज में कर्तव्यों को केंद्र में रखने का संदेश दिया था।
पीएम मोदी ने की कर्तव्यों का पालन करने की अपील
अब उन्होंने आम नागरिकों से भी अपने कर्तव्यों के पालन की अपील की है। उन्होंने कहा कि कर्तव्यों को पूरा करना सामाजिक और आर्थिक प्रगति का आधार है। आने वाले दो दशक को काफी अहम बताते हुए उन्होंने कहा कि विकसित भारत परिकल्पना साकार होने की अग्रसर है और ऐसे में आम लोगों को भी अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखना होगा।
मनमोहन सिंह की सरकार पर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि आज लिये गए निर्णय और नीतियां आने वाली पीढि़यों के जीवन को आकार देंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने 2010 में संविधान के 60 साल पूरे होने का जश्न नहीं मनाने को लेकर मनमोहन सिंह सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने बताया किस तरह गुजरात के मुख्यमंत्री रूप में उन्होंने संविधान की शोभा यात्रा निकाली थी और 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया था।
उन्होंने अपने सामान्य पारिवारिक पृष्टभूमि का हवाला देते हुए कहा कि संविधान की वजह से उनके जैसा सामान्य परिवार से आने वाला व्यक्ति को भी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में 24 सालों तक जनता की सेवा का अवसर मिल सका। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150 जयंती के साथ ही वंदे मातरम् की 150 वर्षगांठ और गुरू तेगबहादुर की 350वीं शहादत वर्ष के अवसर संविधान के 75वें साल को काफी अहम बताया।
प्रधानमंत्री ने युवाओं में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति चेतना और मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए संविधान दिवस के अवसर विशेष आयोजन का सुझाव दिया। उनके अनुसार हर साल 18 साल पूरा करने वाले युवाओं को संविधान दिवस के अवसर सम्मानित किया जाना चाहिए ताकि उनमें राष्ट्र के प्रति दायित्व और गर्व की भावना को जगाया जा सके।
संविधान में लिखे गए नागरिक कर्तव्य
भारतीय संविधान का पालन करना तथा उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करना।
स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोये रखना और उनका पालन करना।
भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना और उसे अक्षुण्ण रखना।
देश की रक्षा करना और आह्वान किये जाने पर राष्ट्रीय सेवा करना।
भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृभाव की भावना का निर्माण करना तथा ऐसी प्रथाओं का त्याग करना जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हों।
हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझना और उसका परिरक्षण करना।
प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करना और उसका संरक्षण करना तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखना।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करना।
सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना और हिंसा से दूर रहना।
व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करना जिससे राष्ट्र निरंतर उन्नति करते हुए उपलब्धि और श्रेष्ठता प्राप्त करे।
छह से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करना। (यह 86वें संशोधन 2002 द्वारा जोड़ा गया)
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