PM Modi की विदेश यात्रा: इन पांच देशों से कैसे हैं भारत के संबंध, क्यों जरूरी है बात का आगे बढ़ना?
पीएम मोदी 2 जुलाई 2025 से घाना त्रिनिदाद व टोबैगो अर्जेंटीना ब्राजील और नामीबिया की पांच दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान वे आतंकवाद के खतरे पर चर्चा करेंगे। इन देशों के साथ सहयोग बढ़ाने पर जोर देंगे। यात्रा का मुख्य उद्देश्य ग्लोबल साउथ देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दक्षिण अमेरिकी और अफ्रीकी देशों के साथ अपने रिश्तों को नये तरीके से गढ़ने में जुटे भारत के लिए पीएम नरेंद्र मोदी का बुधवार से शुरू हो रहा पांच देशों की यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है। पीएम मोदी 2 जुलाई 2025 को घाना, त्रिनिदाद व टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामिबिया की यात्रा पर रवाना होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी इन देशों के नेताओं के साथ बातचीत में सीमा पर आतंकवाद के खतरे को भी उठाएंगे। कुछ देशों के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने का समझौता भी होगा।
त्रिनिदाद व टोबैगो के अलावा दोनों अफ्रीकी देश (घाना व नामीबिया) और दोनों लातिनी अमेरिकी देश (ब्राजील व अर्जेंटीना) के पास जिंक, लिथियम, तांबा के अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के बैट्री बनाने में इस्तेमाल होने वाले दूसरे धातुओं का बहुत बड़ा भंडार है। इन चारों देशों की सरकार ने भारत को संकेत दिया है कि वो बहुमूल्य धातुओं के खनन व प्रसंस्करण में भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग को प्राथमिकता देंगे।
एक साथ पांच देशों की यात्रा के क्या हैं मायने?
पीएम मोदी की यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग को लेकर भी सहमति बनने की संभावना है। पीएम मोदी की भावी यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए सचिव (आर्थिक संबंध) धाम्मु रवि ने बताया कि पीएम मोदी की एक साथ पांच देशों की यात्रा कई मायने में ऐतिहासिक होगा।
उक्त पांचों देश विकासशील या कम विकसित (ग्लोबल साउथ) देशों की श्रेणी में आते हैं। भारतीय पीएम की यात्रा वैश्विक स्तर पर ग्लोबल साउथ देशों के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने की रणनीति को भी दिखाता है। पीएम मोदी घाना, नामीबिया और त्रिनिदाद व टोबैगो के संसद को भी संबोधित करेंगे।
इस बारे में भी सूचना मिली है कि ये देश अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी पीएम मोदी को सम्मानित करेंगे। धाम्मु रवि ने कहा कि पीएम मोदी एक प्रमुख वैश्विक नेता है और कई देश उन्हें विशेष तौर पर सम्मानित करना चाहते हैं।
घाना में यह किसी भारतीय पीएम की 30 वर्षों बाद, नामीबिया में 27 वर्षों बाद, त्रिनिदाद में 26 वर्षों बाद और अर्जेंटीना में 57 वर्षों बाद की जान वाली द्विपक्षीय यात्रा होगी। ब्राजील की यह भारतीय पीएम की चौथी यात्रा होगी।ब्राजील और अर्जेंटीना की पीएम मोदी की यात्रा से पहले पिछले दो महीनों के दौरान चीले के राष्ट्रपति और पेरू के विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर आ चुके हैं।
भारतीय कंपनियों को भी मिलेगा लाभ
रवि ने बताया कि दक्षिण अमेरिका में अर्जेंटीना, चिली और बोलिविया तीन ऐसे देश हैं, जिनके पास बहुमूल्य धातुओं का सबसे बड़ा भंडार है और ये सभी देश भारत के साथ इस क्षेत्र में सहयोग को तत्पर है।
कुछ महीने पहले सरकारी कंपनी काबिल लिमिटेड ने अर्जेंटीना की सरकारी कंपनी के साथ मिलकर लिथियम निकालने का समझौता किया है। अर्जेंटीना की सरकार ऐसे चार और ब्लॉकों में भारतीय कंपनियों के साथ काम करने को तैयार है।
अधिकारियों का कहना है कि अफ्रीका और दक्षिण अमेरिकी देशों के बहुमूल्य धातुओं के भंडार पर चीन की कंपनियों का काफी वर्चस्व हो गया है, लेकिन अब वहां की सरकारें भारत व दूसरे देशों की कंपनियों को आकर्षित करने में जुटी हैं। घाना और नामिबिया के साथ भारत की डिजिटल भुगतान व्यवस्था यूपीआई के इस्तेमाल पर भी समझौता होने जा रहा है।
ब्राजील में सबसे ज्यादा 4 दिन रहेंगे पीएम
पीएम सबसे ज्यादा ब्राजील में चार दिनों का प्रवास करेंगे। वहां पहले दो दिन ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और इसके बाद दो दिन वहां की द्विपक्षीय यात्रा करेंगे। ब्राजील के राष्ट्रपति लुला डा सिल्वा पीएम मोदी के सम्मान में राजकीय भोज भी देने वाले हैं।
ब्राजील भारत का उस क्षेत्र में सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार देश है, जिसके साथ भारत मिलकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए कोशिश कर रहा है। दोनों नेता इस बात पर भी चिंतन करेंगे।
द्विपक्षीय कारोबार में आ रही गिरावट को किस तरह से रोका जाए और इसे बढ़ाया जाए। वर्ष 2022-23 में इनके बीच 16.66 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ था जो अब घट कर 12.2 अरब डॉलर का रह गया है। रक्षा क्षेत्र में दोनों देश सहयोग करने को लेकर गंभीर हैं।
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