राजीव कुमार VS सीबीआई : जमानत मामले में 6 साल बाद आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
राज्य पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार के खिलाफ सीबीआई मामले की सुनवाई 6 साल बाद सुप्रीम कोर्ट में होगी। सीबीआई ने राजीव की अग्रिम जमानत के फैसले को चुनौती दी है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2019 में राजीव को अग्रिम जमानत दी थी, जिसके खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सीबीआई ने राजीव पर जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया है, जिसका राजीव ने खंडन किया है।

सुप्रीम कोर्ट। (पीटीआई)
राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता : छह साल बाद राज्य पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार के खिलाफ सीबीआई मामले की सुनवाई सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में होगी। सीबीआई ने राजीव की अग्रिम जमानत के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक मामला दायर किया था। यह मामला सोमवार को मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ में सुनवाई की सूची में है।
सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के अनुसार यह मामला मुख्य न्यायाधीश की पीठ में सुनवाई की सूची में पहले स्थान पर है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2019 में वर्तमान राज्य पुलिस महानिदेशक को अग्रिम जमानत दी थी।
एक अक्टूबर, 2019 को हाई कोर्ट ने राजीव की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली थी। तीन दिनों के भीतर, सीबीआई ने उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सीबीआई ने उसी वर्ष चार अक्टूबर को हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक मामला दायर किया था।
6 सालों में सिर्फ दो बार हुई सुनवाई
अदालत ने 25 और 29 नवंबर, 2019 को मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी सुनवाई के दिन राजीव को नोटिस जारी किया। राजीव को उसी साल 20 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट से नोटिस मिला था। इसके बाद इस मामले को लेकर अदालत में कई याचिकाएं सदायर की गईं। हालांकि, सुनवाई में कोई प्रगति नहीं हुई। यानी, इतने सालों में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई सिर्फ दो बार हुई है।
CBI ने राजीव पर जांच में सहयोग न करने का लगाया आरोप
राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) ने सबसे पहले सारधा चिटफंड घोटाले की जांच शुरू की थी। एसआइटी के सदस्यों में एक बिधाननगर के तत्कालीन पुलिस आयुक्त राजीव थे। 2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच पुलिस से लेकर सीबीआई को दे दी। जांच के दौरान सीबीआई ने आरोप लगाया कि राजीव जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने जानबूझकर कई महत्वपूर्ण जानकारियों और दस्तावेजों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। ताकि सबूत नष्ट हो जाएं।
राजीव कुमार से सीबीआई के आरोपों का किया खंडन
हालांकि, राजीव ने उन सभी आरोपों का खंडन किया। उन्होंने अदालत को बताया कि उन्होंने सीबीआइ जांच में पूरा सहयोग किया है। उन्होंने मेघालय के शिलांग में पांच दिनों (कुल 40 घंटे) तक केंद्रीय जांच एजेंसी की पूछताछ में भाग लिया। और बाद में वे कोलकाता स्थित सीबीआइ कार्यालय में भी पेश हुए।
हालांकि, सीबीआई ने कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव की हिरासत लेने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए थे। फरवरी 2019 में, सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया। बाद में उसी वर्ष मई में न्यायालय ने वह संरक्षण वापस ले लिया। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राजीव चाहें तो अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
राजीव ने अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में दायर की अपील
तदनुसार, उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में एक मामला दायर किया। जमानत का विरोध करते हुए सीबीआई ने तर्क दिया कि राजीव सहयोग न करके जानबूझकर जाच में देरी कर रहे हैं। वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। यदि उन्हें जमानत दी जाती है, तो जांच बाधित हो सकती है। उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया जाना चाहिए। राजीव का प्रतिवाद यह था कि उन्होंने जांच में बार-बार सहयोग किया है। उन्हें हिरासत में लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।
सीबीआई ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख
कानून के अनुसार उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए। तत्कालीन हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शाहिदुल्लाह मुंशी और न्यायमूर्ति सुभाशीष दासगुप्ता की खंडपीठ ने राजीव की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली। सीबीआई ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जिसकी सुनवाई सोमवार को मुख्य न्यायाधीश की बेंच में होनी है।
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