Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ब्लू इकोनॉमी बूस्ट करने में भारतीय शिपयार्ड महत्वपूर्ण स्तंभ, 'स्वावलंबन 2025' कार्यक्रम में बोले राजनाथ सिंह

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक रक्षा कंपनियों से भारत के शिपबिल्डिंग उद्योग में निवेश करने का आग्रह किया। उन्होंने 'स्वावलंबन 2025' कार्यक्रम में कहा कि भारतीय शिपयार्ड नीली अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और भारत समुद्री नवाचार का वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता रखता है। भारत रक्षा नवाचार के स्वर्ण युग में प्रवेश कर रहा है और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है।

    Hero Image

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह । फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक रक्षा कंपनियों से भारत की जीवंत शिपबिल्डिंग उद्योग में अवसरों का लाभ उठाने और अगली पीढ़ी की समुद्री क्षमताओं के सह-विकास की अपील की। उन्होंने कहा, 'भारतीय शिपयार्ड हमारी उभरती हुई नीली अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।'

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सिंह ने अंतरराष्ट्रीय भागीदारों से भारत की जीवंत शिपबिल्डिंग उद्योग की क्षमता का लाभ उठाने और अगली पीढ़ी की समुद्री क्षमताओं के सह-विकास, टिकाऊ प्रौद्योगिकियों और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करने की अपील की, ताकि दुनिया के लिए एक नवोन्मेषी, समावेशी और सुरक्षित भविष्य का निर्माण किया जा सके।

    शिपबिल्डिंग: नीली अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ

    मानेकशा सेंटर में आयोजित नौसेना के प्रमुख कार्यक्रम 'स्वावलंबन 2025' में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत शिपबिल्डिंग, शिप रिपेयर और समुद्री नवाचार के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने की क्षमता रखता है, क्योंकि भारतीय शिपयार्ड पहले ही एयरक्राफ्ट कैरियर्स, अनुसंधान पोत और वाणिज्यिक जहाजों का निर्माण कर चुके हैं।

    रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत 'समुद्री सदी' को आकार देने के लिए तैयार है, जहां हम केवल जहाज नहीं, बल्कि साझेदारियां भी बना रहे हैं। भारत का शिपबिल्डिंग पारिस्थितिकी तंत्र कई विश्व स्तरीय प्लेटफार्मों की ताकत पर खड़ा है, जो तकनीकी परिपक्वता और औद्योगिक गहराई को दर्शाता है।

    भारत समुद्री नवाचार का वैश्विक केंद्र बनेगा

    प्रमुख परियोजनाएं जैसे भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आइएनएस विक्रांत, कलवरी-क्लास पनडुब्बियां और स्टेल्थ फ्रिगेट्स और विध्वंसक, न केवल देश की नौसैनिक शक्ति दर्शाते हैं, बल्कि डिजाइन क्षमता और स्वचालन के विस्तार को भी उजागर करते हैं।

    हम एयरक्राफ्ट कैरियर्स से लेकर उन्नत अनुसंधान पोतों और ऊर्जा-कुशल वाणिज्यिक जहाज तक प्रदान करने में सक्षम हैं।

    रक्षा नवाचार के स्वर्ण युग में भारत

    रक्षा मंत्री ने जोर दिया कि भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के तहत निर्माणाधीन हर जहाज भारतीय शिपयार्ड में बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत 'रक्षा नवाचार के स्वर्ण युग' में प्रवेश कर रहा है।

    रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में हमें बड़े साहसी और तेज तरीके से बढ़ना होगा और निजी क्षेत्र से 'प्रॉफिट-प्लस' दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया, जिसमें निजी क्षेत्र को व्यापार में लाभ के साथ-साथ राष्ट्रीय हितों और देश के लिए कुछ करने की इच्छा को भी ध्यान में रखना चाहिए।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)