अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी भारत के लिए चिंता, अमेरिकी प्रतिबंध पर भी नजर
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं, क्योंकि इससे मुद्रास्फीति और परिवहन लागत बढ़ सकती है। अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा भी तेल आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। भारत सरकार स्थिति पर नजर रख रही है और कीमतों को स्थिर रखने के लिए कदम उठा रही है, साथ ही वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दे रही है।

कच्चा तेल। (प्रतीकात्मक)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रूसी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट व लुकआयल पर अमेरिका के नए प्रतिबंध से भारतीय तेल कंपनियों के लिए रूस से तेल खरीदना मुश्किल हो गया है, लेकिन इसका असर भारत की तेल आपूर्ति पर नहीं पड़ने जा रहा। वैसे ट्रंप प्रशासन की तरफ से रूसी कंपनियों पर लगाए गए नए प्रतिबंध से उपजे हालात पर भारत सरकार के दो प्रमुख मंत्रालय विदेश मंत्रालय और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने पैनी नजर बनाकर रखी है।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि पहले भी रूस की तेल कंपनियों पर अमेरिका और यूरोपीय संघ ने प्रतिबंध लगाया था। भारत सरकार 140 करोड़ जनता की ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर फैसला करती है। यही प्राथमिकता है। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए कई विकल्प हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी भारत के लिए चिंता
पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, 'भारत के लिए चिंता की बात रोसनेफ्ट पर लगाया गया नया प्रतिबंध नहीं है क्योंकि भारतीय कंपनियां वैसे भी इस रूसी कंपनी से बहुत कम तेल की खरीद करती हैं। भारत की चिंता अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी है। एक दिन में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लंबे अरसे बाद यह 66 डालर प्रति बैरल पहुंच गया है।'
भारत अपनी जरूरत का 87 प्रतिशत तेल करता है आयात
भारत अपनी जरूरत का 87 प्रतिशत तेल आयात करता है। ऐसे में क्रूड की कीमतों में तेजी भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर डाल सकती है। कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी चिंता जताई है कि वैश्विक बाजार में रूस से तेल आपूर्ति समाप्त हो जाने पर वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ सकती है।
अधिकारियों का यह भी कहना है कि मौजूदा वैश्विक परिवेश में इस तरह का प्रतिबंध बहुत आश्चर्यचकित करने वाला नहीं है। इसका अंदाजा पहले से था, लिहाजा भारत पिछले तीन वर्षों से लगातार अपने 'क्रूड बास्केट' (जिन देशों से कच्चे तेल की खरीद की जाती है) का विस्तार कर रहा है।
आज 40 देशों से भारत कच्चे तेल की खरीद कर रहा है। इनमें गुयाना, युगांडा और ब्राजील जैसे नए तेल आपूर्तिकर्ता देश भी हैं। अनिश्चितता को देखकर ही भारत तेल उत्पादक देशों के पारंपरिक संगठन ओपेक पर भी अपनी निर्भरता लगातार घटा रहा है। वैसे भी भारत की कुल तेल खरीद का बहुत कम हिस्सा सीधे तौर पर रोसनेफ्ट से आता है।'

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