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    'बच्चों को गैस चैंबर में डालने जैसा...', दिल्ली-NCR में गंभीर प्रदूषण के बीच स्कूलों में स्पोर्ट्स एक्टिविटीज कराने पर बोला SC

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 04:15 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के गंभीर स्तर के बावजूद स्कूलों में स्पोर्ट्स एक्टिविटीज कराने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने इसे बच्चों को गैस चैंबर में डालने जैसा बताया और सरकार से तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया। कोर्ट ने प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ने की बात कही।

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    SC: स्पोर्ट्स एक्टिविटीज 'गैस चैंबर' जैसा

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्देश दिए हैं। SC ने बुधवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से कहा कि वह दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को नवंबर और दिसंबर में प्रस्तावित खेल प्रतियोगिताओं को स्थगित करने पर विचार करे।

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    मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है। CAQM को यह निर्देश वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह द्वारा यह कहने के बाद दिया गया कि जब हर कोई एयर प्यूरीफायर चालू करके बंद जगहों पर बैठा है, तो बच्चे खुले गैस चैंबर में खेल प्रतियोगिताओं की तैयारी कर रहे हैं।

    स्पोर्ट्स एक्टिविटीज बच्चों को 'गैस चैंबर' में धकेलने जैसा 

    उन्होंने कहा, 'बच्चे सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। अभी खेल आयोजित करना उन्हें गैस चैंबर में डालने जैसा है।' मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हम सीएक्यूएम से अनुरोध करते हैं कि वह इस पर विचार करें और ऐसी खेल प्रतियोगिताओं को सुरक्षित महीनों में ट्रांसफर करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करें।'

    शुरुआत में, केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि मंगलवार को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के सचिव की अध्यक्षता में दिल्ली-एनसीआर राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक हुई और वायु प्रदूषण से निपटने के दीर्घकालिक और अल्पकालिक उपायों पर चर्चा की गई।

    प्रदूषण पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी

    पीठ ने कहा कि प्रतिक्रियात्मक उपाय केवल प्रदूषण के चरम पर ही नहीं किए जाने चाहिए और मुख्य याचिका को हर महीने एक बार सूचीबद्ध किया जाना चाहिए ताकि प्रदूषण विरोधी रणनीतियों के कार्यान्वयन की लगातार निगरानी की जा सके।

    पीठ ने एनसीआर राज्यों, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को निर्देश दिया कि वे श्रमिकों को निर्वाह भत्ते के भुगतान के संबंध में निर्देश प्राप्त करें और अगली सुनवाई में अदालत को सूचित करें।

    मंगलवार को, पीठ ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक समाधान की वकालत की। इसने प्रदूषण नियंत्रण के लिए आपातकालीन उपायों के एक समूह, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत प्रतिबंधित सभी गतिविधियों पर साल भर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया।

    शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से दोनों राज्यों में पराली जलाने के मुद्दे पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा।

    पीठ ने कहा, 'अगर पंजाब और हरियाणा को दिए गए सीएक्यूएम के सुझावों पर अमल किया जाता है, तो पराली जलाने की समस्या से पर्याप्त रूप से निपटा जा सकता है। इसलिए, हम दोनों राज्यों को एक संयुक्त बैठक करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि सीएक्यूएम के सुझावों का ईमानदारी से क्रियान्वयन हो।'

    कैसे पता करते हैं कितना गंभीर है प्रदूषण?

    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार वायु गुणवत्ता की माप इस पप्रकार है।

    • 0-50 के बीच AQI - अच्छा
    • 51-100 के बीच AQI - संतोषजनक
    • 101-200 के बीच AQI - मध्यम
    • 201-300 के बीच AQI - खराब
    • 301-400 के बीच AQI - खराब'
    • 401-500 के बीच AQI - गंभीर'

    GRAP I प्रतिबंध तब लागू होते हैं जब AQI 201 से 300 के बीच होता है। GRAP II प्रतिबंध तब लागू होते हैं जब यह 301 से 400 के बीच होता है और GRAP III प्रतिबंध तब लागू होते हैं जब यह 401 से 450 के बीच होता है। वही, GRAP IV प्रतिबंध तब लगाए जाते हैं जब AQI 451 को पार कर जाता है।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)