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    'रिश्ते सुधारने के लिए अब भारत नहीं बढ़ाएगा पहला कदम', शशि थरूर की पाकिस्तान को दो टूक

    शशि थरूर ने कहा कि भारत अब पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के लिए पहला कदम नहीं उठाएगा। बार-बार धोखे के बाद भारत का धैर्य जवाब दे चुका है। पाकिस्तान को अपनी जमीन से आतंकी नेटवर्क खत्म करना होगा। भारत ने हमेशा अमन की कोशिश की मगर पाकिस्तान ने हर बार धोखा दिया। थरूर ने 2008 के मुंबई हमलों का भी जिक्र किया।

    By Digital Desk Edited By: Chandan Kumar Updated: Wed, 20 Aug 2025 08:24 AM (IST)
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    शशि थरूर ने कहा कि पाकिस्तान आतंकी नेटवर्क को खत्म करें। (फोटो सोर्स- पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत अब पाकिस्तान के साथ रिश्ते सुधारने के लिए पहले कदम उठाने का इच्छुक नहीं है। बार-बार धोखे और विश्वासघात के बाद भारत का धैर्य जवाब दे चुका है।

    यह बयान कांग्रेस के सीनियर लीडर और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने मंगलवार को दिया है। उन्होंने साफ कहा कि अब बारी पाकिस्तान की है कि वह अपनी जमीन से चल रहे आतंकी नेटवर्क को खत्म करके अपनी नीयत साबित करे।

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    थरूर पूर्व राजदूत सुरेंद्र कुमार की किताब "Whither India-Pakistan Relations Today?" के लॉन्च के मौके पर बोल रहे थे। थरूर ने कहा कि भारत ने हमेशा अमन की कोशिश की, मगर हर बार पाकिस्तान की तरफ से धोखा मिला।

    उन्होंने इतिहास के पन्ने पलटते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू का 1950 में लियाकत अली खान के साथ समझौता, अटल बिहारी वाजपेयी की 1999 में लाहौर बस यात्रा, और नरेंद्र मोदी का 2015 में लाहौर दौरा, हर बार भारत की दोस्ती की कोशिश को पाकिस्तान ने दुश्मनी से जवाब दिया।

    'आतंक का ठिकाना खत्म करे पाकिस्तान'

    थरूर ने सख्त लहजे में कहा, "पाकिस्तान के रवैये को देखते हुए, अब पहले कदम की जिम्मेदारी उनकी है। उन्हें अपनी जमीन पर चल रहे आतंकी ढांचे को खत्म करके अपनी सच्चाई दिखानी होगी।"

    उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "आखिर क्यों पाकिस्तान इन आतंकी कैंपों को बंद करने में गंभीर नहीं है? सबको पता है कि ये कैंप कहां हैं। संयुक्त राष्ट्र की कमेटी के पास 52 व्यक्तियों, संगठनों और ठिकानों की लिस्ट है। पाकिस्तान को भी ये सब मालूम है।"

    थरूर ने आगे कहा, "इन कैंपों को बंद करें, इन आतंकियों को गिरफ्तार करें, और गंभीर इरादा दिखाएं।" उन्होंने भरोसा दिलाया कि अगर पाकिस्तान ऐसा करता है, तो भारत उसका जवाब देने में पीछे नहीं हटेगा। मगर अब भारत पहले कदम नहीं उठाएगा।

    2008 के हमले में पाकिस्तान का हाथ

    2008 के मुंबई हमलों का ज़िक्र करते हुए थरूर ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के शामिल होने के "पुख्ता सबूत" दिए थे, जिनमें लाइव इंटरसेप्ट और डॉसियर शामिल थे। इसके बावजूद, "एक भी मास्टरमाइंड के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।"

    उन्होंने कहा कि भारत ने हमलों के बाद 'असाधारण संयम' दिखाया, मगर बार-बार की उकसावे की वजह से भारत को 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे कदम उठाने पड़े।

    थरूर ने अपनी किताब पैक्स इंडिका (2012) का हवाला देते हुए कहा, "मैंने चेतावनी दी थी कि अगर मुंबई जैसे हमले दोबारा हुए और पाकिस्तान की संलिप्तता साफ हुई, तो 2008 जैसा संयम दिखाना नामुमकिन हो जाएगा। और वही हुआ। कोई भी लोकतांत्रिक सरकार, खासकर भारत जो पाकिस्तान के बार-बार धोखे झेल चुका है। वह अपने नागरिकों और मासूम पर्यटकों पर हमले बर्दाश्त नहीं कर सकती।"

    अमेरिका और वियतनाम का दिया उदाहरण

    थरूर ने जोर देकर कहा कि "सीमा पर शांति और सुकून हमारे राष्ट्रीय हित के लिए ज़रूरी है।" उन्होंने फ्रांस और जर्मनी के बीच द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सुलह और अमेरिका-वियतनाम के रिश्तों का उदाहरण देते हुए कहा कि दुश्मन भी दोस्त बन सकते हैं।

    इस चर्चा में पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल, भारत के पूर्व पाकिस्तान राजदूत टी सी ए राघवन, पूर्व सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर और शिक्षाविद अमिताभ मट्टू भी शामिल हुए।

    (समाचार एजेंसी PTI के इनुपट के साथ)

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