सुप्रीम कोर्ट में POSH अधिनियम से बार काउंसिल को बाहर करने पर चुनौती, SC ने मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट वोमेन लॉयर्स एसोसिएशन ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें बार काउंसिल को यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून (पीओएसएच) से बाहर माना गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने कहा था कि पीओएसएच कानून बार काउंसिल पर लागू नहीं होता, क्योंकि वकील कर्मचारी नहीं होते। एसोसिएशन ने इस फैसले को अतार्किक और भेदभावपूर्ण बताया है।
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सुप्रीम कोर्ट में POSH अधिनियम से बार काउंसिल को बाहर करने पर चुनौती (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट वोमेन लॉयर्स एसोसिएशन (एससीडब्लूएलए) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बार काउंसिल को कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून (पीओएसएच) से बाहर मानने के बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया व अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कार्य स्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून बार काउंसिल ऑफ इंडिया, बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र व गोवा पर लागू नहीं होगा।
किस मामले पर होगी सुनवाई?
इस कानून के तहत महिला वकीलों द्वारा बार काउंसिल में की गई यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर सुनवाई नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और आर महादेवन की पीठ ने याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पवनी की प्रारंभिक दलीलें सुनने के बाद याचिका पर नोटिस जारी किया।
सुनवाई के दौरान पीठ की न्यायाधीश नागरत्ना ने कहा कि इस कोर्ट की जेंडर सेंस्टाइजेशन एंड इंटरनल कम्प्लेन कमेटी (जीएसआइसीसी) में लगातार ऐसी शिकायतें आती हैं जिनका यौन उत्पीड़न से कोई संबंध नहीं है, उनमें यहां तक कि केस सुनवाई पर न लगने तक की शिकायतें होती हैं लेकिन फिर भी हर शिकायत को प्रोसेस और रिकार्ड किया जाता है।
हाई कोर्ट के फैसले को दी चुनौती
एसोसिएशन ने वकील स्नेहा कालिता के जरिए दाखिल विशेष अनुमति याचिका में बांबे हाई कोर्ट के सात जुलाई 2025 के फैसले को चुनौती दी है। उस फैसले में हाई कोर्ट ने कहा था कि कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून (पोओएसएच) सिर्फ उन जगहों पर लागू होता है जहां नियोक्ता और कर्मचारी का रिश्ता होता है।
हाईकोर्ट ने कहा था कि वकील स्वतंत्र पेशेवर होते हैं वे बार काउंसिल के कर्मचारी नहीं होते इसलिए पीओएसएच कानून के प्रविधान बार काउंसिल पर लागू नहीं हो सकते। हाई कोर्ट ने कहा था कि यौन उत्पीड़न की शिकायतें एडवोकेट एक्ट 1961 की धारा 35 के तहत निस्तारित होनी चाहिए।
क्या है धारा 35?
सुप्रीम कोर्ट वोमेन लार्यस एसोसिएशन ने हाई कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि बार काउंसिल को पीओएसएच कानून के दायरे से बाहर मानने वाला ये फैसला अतार्किक और भेदभाव वाला है। याचिका में यह भी कहा है कि हाई कोर्ट ने एडवोकेटक एक्ट की जिस धारा 35 की बात की है वो तो पेशेगत कदाचार की बात करती है जिस पर अनुशासनात्मक कार्यवाही होती है। इस धारा 35 की तुलना पीओएसएच कानून के तहत यौन उत्पीड़न की शिकायतों को निपटाने के तय विशेष स्ट्रक्चर से नहीं की जा सकती।

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