5 लोगों के हत्यारे को मिली थी मौत की सजा, सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदला
सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया जिसे पत्नी और तीन बच्चों समेत पांच पारिवारिक सदस्यों की हत्या का दोषी पाया गया था। जस्टिस विक्रम नाथ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कर्नाटक के बल्लारी जिले के बायलुरू थिप्पैया की सजा को बरकरार रखा लेकिन मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पत्नी और तीन बच्चों सहित अपने परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के दोषी एक व्यक्ति की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कर्नाटक के बल्लारी जिले के रहने वाले बायलुरू थिप्पैया को अपने परिवार के पांच सदस्यों की बर्बर और निर्मम हत्या के लिए दोषी ठहराए जाने के फैसले को बरकरार रखा है।
अदालत ने फैसले में क्या कहा?
फैसले में कहा गया कि दोषी को इस अत्यंत निंदनीय अपराध को अंजाम देने के लिए प्रेरित करने वाली परिस्थितियों को देखते हुए मृत्युदंड शायद उचित न हो। उसे अपनी ओर से किए गए अपराधों के लिए पश्चाताप करने की कोशिश करते हुए जेल में अपने दिन बिताने चाहिए। इसलिए, ये अपीलें आंशिक रूप से स्वीकार की जाती हैं कि उसे मृत्युदंड से मुक्त कर दिया जाए। इसके बजाय उसे बिना किसी छूट के जेल में अपनी अंतिम सांसों का इंतजार करना होगा।
क्या है मामला?
थिप्पैया ने 25 फरवरी, 2017 को अपनी पत्नी, साली और अपने तीन बच्चों की हत्या कर दी थी। ट्रायल कोर्ट ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों में दोषी ठहराया था और मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने 30 मई, 2023 को सजा की पुष्टि की। हाई कोर्ट के फैसले के बाद दोषी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा रुख किया।
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