'Arratai का इस्तेमाल कीजिए', व्हाट्सएप वाली याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्हाट्सएप का इस्तेमाल मौलिक अधिकार नहीं है और ब्लॉक किए गए खातों को बहाल करने की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि व्हाट्सएप तक पहुंच उनका मौलिक अधिकार कैसे है और सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया। अदालत ने उन्हें अन्य संचार ऐप इस्तेमाल करने का सुझाव दिया और कहा कि वे दीवानी मुकदमा दायर कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। व्हाट्सएप का इस्तेमाल करना मौलिक अधिकार नहीं है, यह बात हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कही। अदालत ने इस मैसेजिंग और वीडियो कॉलिंग ऐप पर याचिकाकर्ताओं के ब्लॉक किए गए खातों तक पहुंच बहाल करने की मांग वाली रिट याचिका को खारिज कर दिया।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से पूछा, ‘‘व्हाट्सएप तक पहुंच का आपका मौलिक अधिकार क्या है?’’ पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से पूछा कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका लेकर सीधे शीर्ष अदालत का दरवाजा क्यों खटखटाया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि उनका व्हाट्सएप, जिसका उपयोग वे ग्राहकों के साथ संवाद करने के लिए करते थे, अवरुद्ध कर दिया गया है।
वरिष्ठ वकील महालक्ष्मी पावनी ने कहा कि एक क्लिनिक और एक पॉलीडायग्नोस्टिक सेंटर में काम करने वाले याचिकाकर्ता पिछले 10-12 वर्षों से व्हाट्सएप का उपयोग कर रहे थे और इसके माध्यम से अपने ग्राहकों के साथ संवाद कर रहे थे। लेकिन अचानक व्हाट्सएप तक पहुंच अवरुद्ध कर दी गई।
'Arratai इस्तेमाल कर लें'
न्यायमूर्ति मेहता ने टिप्पणी की, "अन्य संचार अनुप्रयोग भी हैं; आप उनका उपयोग कर सकते हैं। हाल ही में, Arratai नाम का एक स्वदेशी ऐप आया है, उसका उपयोग करें। यह भारत में बना है।" जब न्यायमूर्ति नाथ ने पूछा कि याचिकाकर्ता का व्हाट्सएप अकाउंट क्यों ब्लॉक किया गया, तो पवनी ने जवाब दिया कि उन्हें कोई कारण नहीं बताया गया है।
याचिका में "अकाउंट्स को निलंबित करने और ब्लॉक करने, उचित प्रक्रिया, पारदर्शिता और आनुपातिकता सुनिश्चित करने के संबंध में सोशल मीडिया मध्यस्थों को नियंत्रित करने के लिए अखिल भारतीय दिशानिर्देश" की भी मांग की गई। वकील ने पूछा कि उन्हें जवाब देने का कोई अवसर दिए बिना उनका व्हाट्सएप कैसे ब्लॉक किया जा सकता है।
पीठ ने पूछा, "क्या व्हाट्सएप या मध्यस्थ राज्य है?" जब वकील ने कहा, "नहीं है," तो पीठ ने टिप्पणी की कि उच्च न्यायालय में रिट याचिका भी विचारणीय नहीं हो सकती।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और कहा कि वे किसी भी उपयुक्त मंच पर कानून के तहत उपलब्ध किसी भी अन्य उपाय का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र हैं। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता दीवानी मुकदमा दायर कर सकते हैं। हालांकि, वकील ने अदालत से व्हाट्सएप से याचिकाकर्ताओं को उनके खाते तक पहुंच प्रदान करने का अनुरोध करने का आग्रह किया। शीर्ष अदालत ने ऐसा कोई आदेश देने से इनकार कर दिया।
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