सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की विधि छात्र की याचिका, बताया मीडिया का दीवाना
सुप्रीम कोर्ट ने 1950 के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली एक विधि छात्र की जनहित याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने छात्र को फटकार लगाते हुए कहा कि वह मीडिया का दीवाना है और उसने बिना तैयारी के याचिका दायर की। कोर्ट ने छात्र को अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह दी और कहा कि याचिका लोकप्रियता हासिल करने के लिए दायर की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट। (पीटीआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों की मान्यता से संबंधित 1950 के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली फिजूल की जनहित याचिका दायर करने के लिए तीसरे वर्ष के एक विधि छात्र को शुक्रवार को फटकार लगाई। कहा कि यह याचिका दायर करने वाला मीडिया का दीवाना प्रतीत होता है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ ने छात्र की याचिका खारिज कर दी, क्योंकि वह यह बताने में विफल रहा कि उसने 1950 के आदेश को 2025 में चुनौती देने का फैसला क्यों किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि छात्र ने अस्पष्ट और गलत जानकारी के साथ जनहित याचिका दायर की।
पीठ ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए छात्र से कहा, अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने के बजाय, आपने यह फिजूल की याचिका दायर की। आपको पहले अपनी कानून की डिग्री पूरी करनी चाहिए थी और फिर याचिका दायर करनी चाहिए थी। कम से कम, आपको अपना होमवर्क तो करना चाहिए था।
छात्र ने अदालत को बताया कि वह 1950 के आदेश से व्यथित है, लेकिन वह यह बताने में असमर्थ है कि वह इससे कैसे व्यथित है।
पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, याचिकाकर्ता, जो खुद को कानून का छात्र बताता है ने लोकप्रियता हासिल करने के लिए रिट याचिका दायर की है। प्रतीत होताहै कि वह मीडिया का दीवाना है और उसने बिना कोई तैयारी किए अधूरी जानकारी के साथ याचिका दायर कर दी।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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