'अब बहुत देर हो चुकी है...', उज्जैन की तकिया मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को SC से झटका
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने महाकाल मंदिर के विस्तार के लिए मस्जिद तोड़े जाने के खिलाफ अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि विध्वंस भूमि अधिग्रहण कानून के तहत हुआ और मुआवजा भी दिया गया।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: तकिया मस्जिद पुनर्निर्माण याचिका खारिज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आजद उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के तकिया मस्जिद गिराने के फैसले को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला प्रशासन के हक में सुनाया है।
दरअसल, करीब 10 माह पहले महाकाल मंदिर विस्तारीकरण की जद में आ रही तकिया मस्जिद को तोड़ने के मामले में वहां दोबारा मस्जिद बनवाने की अपील की। उज्जैन के 13 निवासियों ने याचिका दायर की थी कि वे 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद में नमाज अदा करते थे। जिसे राज्य सरकार ने महाकाल मंदिर परिसर की पार्किंग बढ़ाने के लिए मस्जिद को गिरा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
पीठ ने की सुनवाई
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह विध्वंस और भूमि अधिग्रहण कानून के तहत हुआ और इसके लिए क्षतिपूर्ति (मुआवजा) भी दी गई। पीठ ने कहा कि यह वैधानिक योजना के तहत आवश्यक था, मुआवजा दिया गया है। याचिकाकर्ता पहले ही इस मामले पर हाईकोर्ट में दायर याचिका वापस ले चुके थे, इसलिए अब वे दोबारा उसी मुद्दे पर राहत नहीं मांग सकते।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दी ये दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील एम.आर. शमशाद ने दलील दी कि हाईकोर्ट का निर्णय गलत था और कहा कि हाईकोर्ट ने कहा कि व्यक्ति अपने घर या कहीं और नमाज पढ़ सकता है। यह तर्क बेहद अनुचित है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने सही फैसला दिया। याचिका वापस ली गई थी और मुआवजा भी दिया गया। जब शमशाद ने कहा कि मुआवजा अनधिकृत लोगों को दिया गया, तो कोर्ट ने कहा कि इसके लिए आपके पास अधिनियम के तहत उपाय उपलब्ध हैं।
अब कुछ नहीं किया जा सकता
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि मस्जिद 1985 में वक्फ संपत्ति घोषित की गई थी और जनवरी 2024 तक उपयोग में थी। यह मस्जिद 200 साल पुरानी थी और इसे दूसरे धार्मिक स्थल महाकाल मंदिर के पार्किंग क्षेत्र को बढ़ाने के लिए गिरा दिया गया। इस पर न्यायालय ने कहा कि मस्जिद भूमि के अधिग्रहण को चुनौती देने वाली याचिका पहले ही वापस ले ली गई थी। जस्टिस नाथ ने कहा,“अब बहुत देर हो चुकी है, कुछ नहीं किया जा सकता।”

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