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    सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: GST और सीमा शुल्क मामलों में FIR के बिना भी मिल सकती है अग्रिम जमानत

    Updated: Thu, 27 Feb 2025 10:00 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और सीमा शुल्क मामलों में अगर एफआइआर दर्ज नहीं होती है तब भी व्यक्ति अग्रिम जमानत के लिए अदालत जा सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अग्रिम जमानत का अधिकार जीएसटी और सीमा शुल्क कानूनों के तहत लागू होता है और इसे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) से जोड़ा जा सकता है।

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    एफआइआर दर्ज न होने पर भी व्यक्ति मांग सकता है अग्रिम जमानत: कोर्ट

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और सीमा शुल्क से संबंधित मामलों में एफआइआर दर्ज न होने पर भी व्यक्ति अग्रिम जमानत मांग सकता है।

    कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत का प्रविधान वस्तु एवं सेवा अधिनियम और सीमा शुल्क कानून पर लागू होता है और व्यक्ति गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए कोर्ट जा सकता है, भले ही एफआइआर दर्ज न हो।

    गौरतलब है कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने पिछले साल 16 मई को उन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था जिनमें सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के दंड प्रविधानों को चुनौती दी गई थी।

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    चीफ जस्टिस ने फैसले में क्या कहा?

    याचिकाओं में यह भी कहा गया था कि ये प्रविधान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और संविधान के अनुरूप नहीं हैं। फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि अग्रिम जमानत जैसे मुद्दों पर सीआरपीसी और उसके बाद के कानून - भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के प्रविधान सीमा शुल्क और जीएसटी अधिनियमों के तहत व्यक्तियों पर लागू होंगे।

    हालांकि, कोर्ट ने माना कि जीएसटी और सीमा शुल्क अधिनियमों के तहत संभावित गिरफ्तारी का सामना करने वाले व्यक्ति एफआइआर दर्ज होने से पहले भी अग्रिम जमानत मांगने के हकदार हैं। मुख्य याचिका राधिका अग्रवाल ने 2018 में दायर की थी।

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