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    ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार नवंबर को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 08:49 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट 4 नवंबर को ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। यह कानून ऑनलाइन मनी गेम्स और संबंधित विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह अधिनियम कौशल-आधारित खेलों पर प्रतिबंध लगाकर संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) का उल्लंघन करता है। अदालत ने उच्च न्यायालयों से याचिकाओं को स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली है।

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    सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन गेमिंग कानून पर सुनवाई

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट चार नवंबर को सुनवाई करेगा। इस कानून के तहत ऑनलाइन मनी गेम्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और बैं¨कग सेवाओं व उनसे जुड़े विज्ञापनों पर रोक लगाई गई है।

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    जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह बात तब कही, जब हाई कोर्टों में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सी. आर्यमन सुंदरम और अरविंद पी. दातार ने इस मुद्दे का उल्लेख किया।

    सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन गेमिंग कानून पर सुनवाई

    'सुंदरम ने कहा कि इस मुद्दे का उल्लेख प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष किया गया था और उस पीठ ने कहा कि उचित होगा कि वही पीठ (जस्टिस पार्डीवाला के नेतृत्व वाली) चार नवंबर को निर्धारित समय पर मामले की सुनवाई करे। जस्टिस पार्डीवाला ने कहा, 'फिर हम इस पर सुनवाई करेंगे।'

    द प्रमोशन एंड रेगुलेशन आफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 वास्तविक धन वाली ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला केंद्रीय कानून है, इनमें फैंटेसी स्पो‌र्ट्स और दांव लगाकर खेले जाने वाले ई-स्पो‌र्ट्स शामिल हैं।

    4 नवंबर को होगी अहम सुनवाई

    इसे दिल्ली, कर्नाटक और मध्य प्रदेश हाई कोर्टों में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह अधिनियम न्यायिक रूप से मान्यता प्राप्त कौशल-आधारित खेलों पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाता है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) का उल्लंघन है, जो किसी भी पेशे को अपनाने या वैध व्यापार करने के अधिकार की गारंटी देता है।

    आठ सितंबर को शीर्ष अदालत में जस्टिस पार्डीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने परस्पर विरोधी फैसलों से बचने के लिए आनलाइन गे¨मग संवर्धन एवं विनियमन अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तीनों हाई कोर्टों से शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली थी।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)