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    8 हजार स्कूलों में एक भी छात्र नहीं, लेकिन तैनात हैं 20 हजार शिक्षक; शिक्षा मंत्रालय ने उठाए गंभीर सवाल

    By Arvind PandeyEdited By: Swaraj Srivastava
    Updated: Sun, 26 Oct 2025 10:30 PM (IST)

    शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों में शिक्षकों की असमान तैनाती पर सवाल उठाए हैं। लगभग 8 हजार स्कूलों में एक भी छात्र नहीं है, फिर भी 20 हजार से अधिक शिक्षक तैनात हैं। वहीं, एक लाख से अधिक स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, जिनमें 33 लाख से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं। मंत्रालय ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर दिया है।

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    असमान तैनाती को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर उठते सवाल के बीच शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों में शिक्षकों की असमान तैनाती को लेकर गंभीर सवाल उठाए है। साथ ही राज्यों को आईना दिखाने के लिए दो तस्वीर भी पेश की है। जिसमें करीब आठ हजार स्कूल ऐसे है, जहां एक भी बच्चों का नामांकन नहीं है लेकिन फिर भी उन स्कूलों में 20 हजार से अधिक शिक्षकों की तैनाती दी गई है।

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    यानी ऐसे स्कूलों में औसतन ढ़ाई शिक्षक है जो बैठे बैठे वेतन पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर देश के एक लाख से अधिक स्कूल ऐसे है जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है, जिसमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 33 लाख से अधिक है। शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा को लेकर यह विरोधाभासी तस्वीर तब पेश की है, जब वह सभी राज्यों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति( एनईपी) के अमल में तेजी से जुटी है।

    अच्छी शिक्षा पर केंद्र का जोर

    शिक्षा और स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती पूरी तरह से राज्य का विषय है बावजूद इसके केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का लगातार इस बात को लेकर जोर रहता है कि स्कूलों में छात्रों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देते हुए छात्र-शिक्षक अनुपात को बेहतर रखा जाए। इसमें प्रत्येक 30 छात्र पर कम से कम एक शिक्षक होना जरूरी है। आर्थिक-सामाजिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों के स्कूलों में प्रत्येक 25 बच्चों पर कम से कम एक शिक्षक की तैनाती देने का सिफारिश है।

    शिक्षा मंत्रालय की ओर राज्यों के स्कूलों की स्थिति पर तैयार की गई 2024-25 की रिपोर्ट में जहां शून्य नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले काफी सुधार हुआ है। इससे पहले ऐसे स्कूलों की संख्या करीब 13 हजार थी, जो अब 7993 रह गई है। इनमें शून्य नामांकन वाले सबसे अधिक 3812 स्कूल अकेले पश्चिम बंगाल के है, जिनमें 17965 शिक्षकों की तैनाती दी गई है।

    आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक एकल शिक्षक वाले स्कूल

    ध्यान रहे कि पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती हमेशा से विवादों में रही है। यह इस और भी संकेत करता है कि वहां बड़ी संख्या में राजनीति साधने के लिए शिक्षकों की भर्ती हो रही है। इसके साथ ही तेलंगाना में 2245,मध्य प्रदेश में 463, कर्नाटक में 270, तमिलनाडु में 311, झारखंड में 107, जम्मू-कश्मीर में 146, यूपी में 81 और उत्तराखंड में 39 स्कूल है। इन स्कूलों में एक भी छात्र का नामांकन नहीं है फिर भी इनमें 20817 शिक्षकों की तैनाती दी गई है।

    वहीं देश में एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या सभी राज्यों में है। इनमें सर्वाधिक 12912 स्कूल आंध्र प्रदेश में है जबकि उसके बाद 9508 स्कूलों के साथ यूपी दूसरे नंबर पर है। गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय हर साल सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार करता है। जिसका ब्यौरा राज्य खुद देते है। जरूरत पड़ने पर शिक्षा मंत्रालय की ओर से थर्ड पार्टी सर्वेक्षण भी कराया जाता है।