माओवादी हिंसा से प्रभावित जिलों की संख्या में लगातार कमी, अब केवल 38 जिले बचे
भारत में माओवादी हिंसा से प्रभावित जिलों की संख्या में कमी आई है, जो अप्रैल में 46 से घटकर अब 38 हो गई है। सबसे अधिक प्रभावित जिलों की श्रेणी में केवल तीन जिले बचे हैं। केंद्र सरकार 2026 तक माओवाद मुक्त भारत का लक्ष्य लेकर चल रही है, जिसके लिए सुरक्षा एजेंसियां लगातार प्रयासरत हैं। उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुधार देखा गया है।

उग्रवाद प्रभावित जिलों में आई कमी। (फाइल फोटो)
डिजिट डेस्क, नई दिल्ली। भारत में माओवादी हिंसा से प्रभावित जिलों की हालिया समीक्षा में यह पाया गया है कि अप्रैल में नौ राज्यों में इनकी संख्या 46 थी, जोकि अब घटकर 38 रह गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक प्रभावित जिलों की श्रेणी में महज तीन और चिंताजनक जिलों की श्रेणी में केवल चार जिले शेष रह गए हैं।
वैसे भी माओवादियों के शीर्ष नेताओं समेत बड़ी संख्या में कैडर के समर्पण के बाद केंद्र सरकार 26 जनवरी 2026 को माओवाद मुक्त भारत की घोषणा कर सकती है। माओवादियों के खिलाफ आपरेशन में लगी सुरक्षा एजेंसियां इसे संभव बनाने की कोशिश में तेजी से जुटी हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी माओवाद मुक्त भारत के लिए 31 मार्च 2026 की तारीख निर्धारित की हुई है।
उग्रवाद प्रभावित इलाकों में देखा गया सुधार
यह समीक्षा 'वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना 2015' के अंतर्गत की गई है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस समस्या का समाधान करने का प्रयास कर रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस नए वर्गीकरण की जानकारी दी।
सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) के अंतर्गत आने वाले जिलों की संख्या में कमी आई है।
आधिकारिक रिकार्ड भी इस बात की पुष्टि करते हैं। एसआरई एक प्रमुख एलडब्ल्यूई नीति योजना है, जिसके तहत केंद्र वामपंथी उग्रवाद से लड़ने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
माओवादी हिंसा में आई गिरावट
सूत्रों के अनुसार, मार्च 2026 तक माओवाद के खात्मे की केंद्र सरकार की घोषणा के बाद, सुरक्षा बलों की आक्रामक कार्रवाई के चलते इन सभी श्रेणियों में माओवादी हिंसा और प्रभाव के स्तर में गिरावट आई है।
देश में 'वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों' की संख्या अप्रैल में 18 से घटकर अब 11 रह गई है। इन्हें सबसे अधिक प्रभावित जिलों, चिंताजनक जिलों और अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
सबसे अधिक प्रभावित और चिंताजनक जिलों में शुमार बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कांकेर, पश्चिमी सिंहभूम, बालाघाट, गढ़चिरौली के अलावा अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी तथा ओडिशा का कंधमाल शामिल हैं।
इसके अलावा, 27 जिलों को विरासत एवं महत्वपूर्ण जिलों के अंतर्गत रखा गया है, जिनमें ओडिशा के आठ, छत्तीसगढ़ के छह, बिहार के चार, झारखंड के तीन, तेलंगाना के दो और आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा बंगाल के एक-एक जिले शामिल हैं।
आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार, विरासत एवं महत्वपूर्ण जिलों में उन जिलों को रखा गया है, जहां नक्सलवाद का अंत हो चुका है लेकिन ये वामपंथी उग्रवाद के विस्तार के खतरे वाले संभावित स्थल हैं और इसलिए राज्यों की क्षमता निर्माण के लिए वहां लगातार सरकारी सहायता उपलब्ध कराने की जरूरत है।
सबसे अधिक प्रभावित जिले
1. बीजापुर (छत्तीसगढ़)
2. नारायणपुर (छत्तीसगढ़)
3. सुकमा (छत्तीसगढ़)
'चिंताजनक जिलों' की श्रेणी में ये शामिल
1. कांकेर (छत्तीसगढ़)
2. पश्चिमी सिंहभूम (झारखंड)
3. बालाघाट (मध्य प्रदेश)
4. गढ़चिरौली (महाराष्ट्र )
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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