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    'जो जांच करते हैं, उनकी भी जांच होनी चाहिए', सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में FIR दर्ज करने का दिया आदेश

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Thu, 11 Sep 2025 12:52 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार के खिलाफ दो दशक पुराने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देते हुए बुधवार को कहा कि जो लोग जांच करते हैं उनकी भी जांच होनी चाहिए। इस मामले में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ किए जाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप हैं। यह मामला 2001 की एक घटना से जुड़ा हैजब नीरज कुमार सीबीआइ में संयुक्त निदेशक थे।

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    'जो जांच करते हैं, उनकी भी जांच होनी चाहिए', सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

     पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार के खिलाफ दो दशक पुराने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देते हुए बुधवार को कहा कि जो लोग जांच करते हैं, उनकी भी जांच होनी चाहिए। इस मामले में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ किए जाने और आपराधिक धमकी देने के आरोप हैं।

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    यह मामला 2001 की एक घटना से जुड़ा

    यह मामला 2001 की एक घटना से जुड़ा है, जब नीरज कुमार सीबीआइ में संयुक्त निदेशक थे और उन पर एक मामले में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 13 मार्च 2019 को अपनी एकल पीठ के साल 2006 के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें नीरज कुमार और तत्कालीन सीबीआइ अधिकारी विनोद पांडे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।

    जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने कहा- 'अब समय आ गया है कि जांच करने वालों की भी कभी-कभी जांच की जानी चाहिए, ताकि आम जनता का व्यवस्था में विश्वास बना रहे।' दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि दिल्ली पुलिस का विशेष प्रकोष्ठ मामले की जांच करे।

    साथ ही स्पष्ट किया कि जांच सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) स्तर से नीचे के अधिकारी द्वारा नहीं की जानी चाहिए।पीठ ने कहा- ' यह अपराध वर्ष 2000 में होने का आरोप लगाया गया है और आज तक मामले की जांच नहीं होने दी गई। यदि ऐसे अपराध की जांच न होने दी जाए तो यह न्याय के विपरीत होगा।'

    शीर्ष अदालत ने मूलभूत कानून को रेखांकित किया जोकि कहता है कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए।

    रिकॉर्ड के मुताबिक, शीश राम सैनी और विजय कुमार अग्रवाल नाम के दो व्यक्तियों ने क्रमश: पांच जुलाई 2001 और 23 फरवरी 2004 को पुलिस के समक्ष अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराते हुए जांच की मांग थी, लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। सैनी ने अपनी शिकायत में जहां नीरज कुमार और पांडे पर दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था।

    वहीं, अग्रवाल ने दावा किया था कि नीरज कुमार के कहने पर पांडे ने उसे आपराधिक धमकी दी। उस समय सीबीआइ अग्रवाल और उनके भाई ईडी के पूर्व अधिकारी अशोक अग्रवाल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच कर रही थी। सुनवाई न होने पर शिकायतकर्ताओं ने हाई कोर्ट का रुख किया था।