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    TMC सांसद कल्याण बनर्जी के साथ साइबर फ्रॉड, ठगों ने खाते से उड़ाए 55 लाख रुपये

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 05:46 PM (IST)

    तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी साइबर धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं। उनके बैंक खाते से 55 लाख रुपये की अवैध निकासी की गई है। उन्होंने कोलकाता पुलिस के साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराई है। प्रारंभिक जांच में केवाईसी विवरण चोरी होने की आशंका जताई गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल के श्रीरामपुर से तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी के बैंक खाते से साइबर अपराधियों द्वारा 56 लाख रुपये उड़ा लेने का मामला सामने आया है। बैंक प्रबंधन ने इसकी कोलकाता पुलिस के साइबर अपराध विभाग में शिकायत दर्ज करवाई है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि कल्याण 2001 से 2006 के दौरान बंगाल के आसनसोल दक्षिण से विधायक थे।

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    उस दौरान उनके नाम से भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की विधानसभा उप शाखा में खाता खोला गया था। विधायक के तौर पर उन्हें मिलने वाले सारे भत्ते इसी खाते में जमा होते थे। कल्याण के सांसद बनने के बाद से काफी समय तक इस खाते से कोई लेन-देन नहीं किया था। साइबर अपराधियों ने फर्जी आधार व पैन कार्ड के जरिए कल्याण के बैंक खाते की आनलाइन केवाइसी की प्रक्रिया पूरी की।

    सांसद की असली फोटो का इस्तेमाल किया गया

    इसमें सांसद की असली फोटो का इस्तेमाल किया गया ताकि दस्तावेज असली लगें। इसके बाद गत 28 अक्टूबर को अपराधियों ने खाते से पंजीकृत मोबाइल नंबर बदल दिया, जिससे उन्हें खाते तक पूरी पहुंच मिल गई और फिर इंटरनेट बैंकिंग के जरिए कई बार में उस खाते से रुपये अन्य खाते में स्थानांतरित कर वहां से निकाल लिए गए।

    एसबीआइ की हाई कोर्ट शाखा के प्रबंधक ने कल्याण को फोन करके धोखाधड़ी की जानकारी दी। कुछ दिन पहले ही कोलकाता के बेहला पर्णश्री इलाके में एक वृद्ध दंपती से डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर तीन करोड़ की ठगी का मामला सामने आया था। साइबर अपराधियों ने पति-पत्नी को मोबाइल पर अपना परिचय केंद्रीय जांच एजेंसियों के अधिकारियों के तौर पर देते हुए डराया-धमकाया था।

    उनसे कहा गया कि उनके नाम से एक पार्सल मिला है, जिसमें मादक पदार्थ हैं। इसके बाद सख्त कानूनी कार्रवाई का भय दिखाया गया और इससे बचाने के लिए रुपये मांगे गए। दंपती ने किस्तों में तीन करोड़ रुपये उनके बताए बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिए थे। बाद में उन्हें ठगे जाने का पता चला था।