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    इंदौर में मोबाइल का चार्जर बना काल, करंट लगने से मासूम बच्ची की हुई मौत

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 10:41 PM (IST)

    इंदौर में एक दर्दनाक घटना में, मोबाइल चार्ज करते समय करंट लगने से सात वर्षीय बच्ची की मौत हो गई। वहीं, कट्ठीवाड़ा के एक छात्रावास में दूसरी कक्षा की छात्रा की भी आकस्मिक मृत्यु हो गई। विधायक ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है, और कहा है कि आदिवासी बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, जिससे उनकी जान जा रही है।

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    इंदौर में मोबाइल का चार्जर बना काल करंट लगने से मासूम बच्ची की हुई मौत (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंदौर के हीरानगर थाना अंतर्गत एक बच्ची की करंट लगने से मौत हो गई। बच्ची मोबाइल चार्ज करने की कोशिश कर रही थी। तार में कट होने से करंट लग गया। पुलिस के अनुसार घटना ग्राम भांगिया की है। सात वर्षीय गंगा की करंट लगने से मौत हुई है।

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    मूलत: ललितपुर (उप्र) निवासी गंगा के पिता बबलू ईंट भट्टे पर काम करते है। टापरी बनाकर भांगिया में ही परिवार रहता है। गंगा ने मोबाइल चार्ज करने के लिए होल्डर लगाया था। तार में कट लगने के कारण वह करंट की चपेट में आ गई।

    कैसे हुई मौत?

    इसके साथ ही कट्ठीवाड़ा के विकासखंड के ग्राम काबरी सेल में स्थित कन्या छात्रावास में कक्षा दूसरी की छात्रा की शनिवार सुबह आकस्मिक मृत्यु हो गई। खबर मिलते ही विधायक ने छात्रावास का दौरा किया और प्रशासन पर असंवेदनशीलता और घोर लापरवाही का आरोप लगाया। खंड शिक्षा अधिकारी शंकर जाटव ने बताया कि कन्या छात्रावास काबरीसेल की कक्षा दूसरी की छात्रा कृतिका बघेल सुबह नाश्ते के बाद खेल रही थी, अचानक उल्टी होने के बाद बेसुध हो गई।

    अधीक्षिका ने खंड मुख्यालय पर सूचना दी, किंतु कुछ ही देर में बालिका की मृत्यु हो गई। आलीराजपुर के लक्ष्मणी क्षेत्र में रहने वाली बालिका के साथ उसकी बड़ी बहन भी वहीं पढ़ती है। उसके अनुसार छात्रा को पूर्व में कोई परेशानी नहीं थी।

    मौके पर पहुंची विधायक

    मौके पर पहुंची क्षेत्रीय विधायक सेना पटेल ने बच्ची की मौत के लिए प्रशासन पर आदिवादियों के प्रति असंवेदनशीलता का आरोप लगाते हुए कहा कि क्या यही आदिवासी गौरव है। मुख्यमंत्री ऊपरी चमक दमक दिखाने में जुटे है वहीं उनकी नाक के नीचे उनका प्रशासन भ्रष्ट्राचार और लापरवाही, संवेदनहीनता के साथ मासूम बच्चियों की जान के साथ खिलवाड़ करते जा रहा है। आदिवासी बच्चियों के स्वास्थ्य के साथ बार बार होते खिलवाड़ के चलते उनकी जान तक चली जाती है और किसी पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती।

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