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    'पीएम मोदी ने कहा अब रूस से तेल नहीं लेंगे', ट्रंप का दावा; विदेश मंत्रालय बोला- हमारे लिए राष्ट्रहित सबसे पहले

    By JAIPRAKASH RANJANEdited By: Chandan Kumar
    Updated: Thu, 16 Oct 2025 12:53 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दावा किया कि पीएम मोदी ने उनसे कहा कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। विदेश मंत्रालय ने इस पर सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी, पर कहा कि भारत का राष्ट्रहित सबसे पहले है। ट्रंप ने कहा कि भारत अब अमेरिका से अधिक तेल खरीद रहा है। मंत्रालय ने कहा कि भारत ऊर्जा सुरक्षा के लिए विभिन्न स्रोतों से तेल खरीदता है।

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    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारत तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है।

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। जब से डोनल्ड ट्रंप ने दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभाला है तब से भारत को लेकर उनकी तरफ से दिए जा रहे एक के बाद एक बयान पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार को असहज किये हुए है।

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    इस कड़ी में गुरुवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने यह दावा कर दिया है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने उन्हें आश्वस्त किया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह आश्वासन भारतीय प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले उनके साथ हुई बातचीत में दिया है।

    जबकि भारत सरकार की तरफ से ना तो मोदी और ट्रंप के बीच किसी बातचीत का ब्यौरा गुरुवार दोपहर तक जारी किया गया है और ना ही इस बारे में कोई सूचना है कि रूस से तेल खरीद में कमी कर दी गई है।

    मीडिया के साथ वार्ता में ट्रंप की तरफ से कही गई इस बात पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक सधी हुई प्रतिक्रिया जरूर जताई है लेकिन इसमें ट्रंप-मोदी के बीच वार्ता या रूसी तेल खरीद में कटौती की कोई बात नहीं है।

    'भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी सतत प्राथमिकता'

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारत तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है। अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी सतत प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियां पूरी तरह से इस उद्देश्य पर आधारित हैं।"

    उन्होंने कहा, "भारतीय ऊर्जा नीति की दो लक्ष्य हैं, स्थिर ऊर्जा मूल्य और उनकी सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना। इसमें विभिन्न स्रोतों से ऊर्जा की खरीद करना और ऊर्जा स्रोतों का विस्तार करना शामिल है। जहां अमेरिका का संबंध है, हमने कई वर्षों से वहां से अपनी ऊर्जा खरीद को बढ़ाने का प्रयास किया है। पिछले दशक में लगातार प्रगति हुई है। वर्तमान प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को बढ़ाने को तैयार है और हम इस बारे में बातचीत कर रहे हैं।"

    'पीएम मोदी से नाराज हूं'

    इसके पहले ट्रंप से अमेरिकी राष्ट्रपति भवन में पत्रकारों ने पूछा कि, क्या वह मलयेशिया में पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे तो उनका जवाब था कि, "हां निश्चित रूप से। वह मेरे बहुत ही अच्छे मित्र हैं। लेकिन मैं उनसे नाराज हूं क्योंकि भारत रूस से तेल खरीद रहा है जिससे रूस जंग जारी रखे हुए है। इसमें यूक्रेन और रूस के लाखों लोगों की मौत हुई है। मैं इस बात से खुश नहीं हूं कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है। मोदी ने मुझे आज आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर रहा है। यह बहुत ही बड़ी बात है। अब चीन भी ऐसा ही करेगा।"

    इस क्रम में उन्होंने यह भी कहा कि दो पहले मोदी से उनकी बातचीत हुई है। जबकि भारत व अमेरिका की सरकारों की तरफ से दी गई आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मोदी और ट्रंप के बीच अंतिम बातचीत नौ अक्टूबर, 2025 को हुई है। ट्रंप के इस पूरे बयान में जो दावे किये गये हैं उनमें निरंतरता का अभाव है।

    जैसे उक्त बयान के कुछ ही देर बाद अन्य प्रश्न के जवाब में ट्रंप ने कहा कि, "उन्होंने (भारतीय पीएम) ने आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा लेकिन यह धीरे धीरे होगा।"

    भारत ने रूस तेल खरीदने में कटौती की है

    इस बात में सच्चाई भी है कि क्योंकि आर्थिक वजहों को ध्यान में रखते हुए भारतीय तेल कंपनियों ने सितंबर, 2025 में रूस से 10 फीसद कम कच्चे तेल की खरीद की है लेकिन इसमें अमेरिकी दबाव का कोई हाथ नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम हैं और रूस के अलावा दूसरे तेल उत्पादक देश भी कम कीमत पर भारत को ज्यादा तेल देने को तैयार हैं।

    ट्रंप के उक्त दावे के कुछ ही घंटे बाद नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा है कि, "मोदी और ट्रंप के बीच बातचीत का मुझे पता नहीं है लेकिन भारत सरकार अपनी जनता के हितों को देखते हुए फैसला करती है और इसी आधार पर रूस से तेल खरीदा जा रहा है।"

    उन्होंने यह भी कहा कि, पहली बार रूस भारत के शीर्ष चार कारोबारी साझेदार देशों में शामिल हो गया है। दोनों देशों का द्विपक्षीय कारोबार 70 अरब डॉलर को पार कर गया है। इसमें कच्चे तेल, उर्वरक व कृषि उत्पादों की कारोबार शामिल है।

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