सभी राज्यों की राजधानी और पुराने शहरों का होगा कायाकल्प, क्या है सरकार की योजना; कितना मिलेगा फंड?
शहरी विकास के लिए बजट में घोषित एक लाख करोड़ रुपये के अर्बन चैलेंज फंड से शहरों की स्थिति सुधरेगी। वित्त मंत्रालय के अनुसार राज्य अपनी राजधानी और एक अन्य शहर को चुन सकते हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य शहरों के व्यावसायिक क्षेत्रों का पुनरुद्धार करना है जहां बुनियादी ढांचे की हालत खराब है।

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। शहरों की दशा सुधारने के लिए बजट में घोषित एक लाख करोड़ रुपये के अर्बन चैलेंज फंड में राज्यों को अपनी राजधानियों और एक अन्य शहर में बुनियादी ढांचे की बदहाली दूर करने का मौका मिलेगा।
वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक, राज्य अपनी राजधानी के साथ एक और शहर का चयन इस योजना के लिए कर सकते हैं। खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में शहर अपने बीच वाले व्यावसायिक हिस्से का पुनरुद्धार कर सकते हैं।
देश के अधिकांश शहरों में समय के साथ मध्य भाग यानी उसके मूल स्वरूप की दशा आबादी के दबाव और सड़क, सीवर, फुटपाथ आदि की दशा इतनी खराब हो चुकी है कि उसे सुधारना आसान नहीं रह गया है।
राज्यों की राजधानियों और बड़े शहरों के केंद्रीय व्यापारिक और ऐतिहासिक स्वरूप को पुनर्जीवित करने के लिए चलाए जाने वाले इस कार्यक्रम को मुख्य रूप से राज्य सरकारों द्वारा संचालित किया जाना है और केंद्र सरकार अर्बन चैलेंज फंड के तहत इसमें प्रोत्साहन राशि देगी।
हर शहर को केंद्र से कितनी मदद राशि मिलेगी?
योजना में आने वाले प्रत्येक शहर को अधिकतम 150 करोड़ रुपये की सहायता केंद्र सरकार की ओर से दी जाएगी। राजधानी के अलावा अपने दूसरे शहर का चयन राज्यों को ही करना होगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि इस योजना में फोकस लीगेसी इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी पुराने बुनियादी ढांचे की स्थिति सुधारने पर होना चाहिए।
इसका मतलब है कि कोई शहर जब विकसित हो रहा था तो उस समय उसकी जरूरत के रूप में जिस बुनियादी ढांचे (भौतिक और तकनीकी) को बनाया गया था, वह अब अपर्याप्त और बेकार हो जाने के कारण आज की जरूरतों को पूरा कर पाने में विफल हो गया है।
राज्यों को निर्देश- सरकारी संपत्तियों और ढांचों की करें पहचान
राज्यों से यह भी कहा गया है कि वे शहरों में ऐसी सरकारी संपत्तियों और ढांचों की भी पहचान करें, जिनका पूरी तरह उपयोग नहीं हो पा रहा है। वे इसके माध्यम से सार्वजनिक उपयोग के लिए अतिरिक्त जमीन भी जुटा सकते हैं।
उदाहरण के लिए- पुराने और बड़े शहरों के बीच तमाम ऐसी सरकारी संपत्तियां होती हैं जो किसी कार्यालय अथवा सार्वजनिक स्थान से संबंधित हैं और वहां काफी जमीन का उपयोग नहीं हो पा रहा।
इस योजना के लिए सुधार के जो क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं, उनमें व्यावसायिक क्षेत्र के लिए परिवहन की योजना और सड़क के किनारे पार्किंग की सुविधा, व्यापारिक गतिविधियों के लिए अलग स्थान, सड़क-सीवर जैसे ढांचे में सुधार, ड्रेनेज की योजना और पैदलयात्रियों के लिए फुटपाथ का बंदोबस्त शामिल है।
राज्य सरकारों को अपने प्रस्तावों के लिए एक अफसर और टीम का चयन कर उसकी जिम्मेदारी तय करनी होगी।
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