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    एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी, लेकिन अब आ रहे पास... ट्रंप की नीतियों से बदल रहे भारत और चीन के संबंध

    अमेरिका और भारत के बीच तनाव बढ़ने से चीन को फायदा हो सकता है। ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय आयात पर टैरिफ लगाने से दोनों देशों के संबंधों में दरार आई है जिससे चीन-भारत के बीच तनाव कम हो रहा है। पिछले साल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मोदी और शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद से दोनों देशों के बीच बातचीत बढ़ी है।

    By Jagran News Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Tue, 19 Aug 2025 06:00 AM (IST)
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    भारत और अमेरिका के बीच वर्षों से बढ़ते सहयोग को खतरा (फोटो: रॉयटर्स)

    जेएनएन, नई दिल्ली। यह एक पुरानी कहावत का एक और उदाहरण हो सकता है- मेरे दुश्मन का दुश्मन मेरा दोस्त है। बहरहाल, चीन के लिए यह एक सुखद आश्चर्य की बात है कि उसका वैश्विक प्रतिद्वंद्वी अमेरिका उसके सबसे बड़े एशियाई प्रतिद्वंद्वी भारत के साथ टकराव मोल ले रहा है।

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    ट्रंप प्रशासन द्वारा रूसी तेल आयात का हवाला देते हुए भारतीय आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच संबंध खराब हो गए हैं। संबंधों में अचानक आई दरार से सुरक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भारत और अमेरिका के बीच वर्षों से बढ़ते सहयोग को खतरा उत्पन्न हो गया है।

    चीन-भारत के बीच कम हुआ तनाव

    यह सहयोग काफी हद तक चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को नियंत्रित रखने की दोनों देशों की इच्छा से प्रेरित था। अब अमेरिका के नए रुख ने चीन और भारत के बीच तनाव घटाने की प्रक्रिया को नई गति प्रदान की है, जो हाल के वर्षों में बढ़ गया था। तनाव कम करने का यह सिलसिला पिछले साल अक्टूबर में तब शुरू हुआ, जब चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की।

    तब से दोनों देशों के बीच आधिकारिक यात्राओं में वृद्धि हुई है और व्यापार बाधाओं को कम करने तथा लोगों की आवाजाही पर भी चर्चा हुई है। बेंगलुरु स्थित तक्षशिला संस्थान में हिंद-प्रशांत अध्ययन के प्रमुख मनोज केवलरमानी ने कहा, मेरा मानना है कि बीजिंग में कुछ लोग भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को देखकर कुछ हद तक निराशा महसूस करते हैं। नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच राजनीतिक विश्वास का टूटना बीजिंग के पक्ष में काम करता है।

    उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से अब भी बहुत कुछ ऐसा है, जो इन दो एशियाई दिग्गजों को अलग करता है। इसमें 2,100 मील लंबी सीमा पर नियंत्रण, भारत के प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के साथ चीन की घनिष्ठता और उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने की भारत की महत्वाकांक्षा शामिल है, जो चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रही हैं।

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