बाढ़ और अतिवर्षा से कई राज्यों में त्राहिमाम, पंजाब के 2000 गांव डूबे; आपदा प्रभावित राज्यों का दौरा करेंगे पीएम मोदी
पंजाब और हरियाणा समेत उत्तर भारत के कई राज्य बाढ़ की चपेट में हैं। पौंग बांध के कैचमेंट एरिया में अब तक के इतिहास की सबसे अधिक वर्षा ने पंजाब को बाढ़ की स्थिति में पहुंचाया है। वहीं अब मौसम विभाग ने अगले तीन-चार दिनों तक भारी वर्षा की संभावना से इंकार किया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही बाढ़ प्रभावित राज्यों का दौरा कर स्थिति का जायजा लेंगे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा समेत उत्तर भारत के कई राज्य बाढ़ की चपेट में हैं। बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब में हुआ है। वहीं सतलुज और ब्यास नदी में आई बाढ़ को लेकर भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने शुक्रवार को कहा कि बांध में सीमित पानी की भंडारण क्षमता है, यदि उससे अधिक पानी आएगा तो वह डाउन स्ट्रीम में छोड़ना ही पड़ेगा।
पौंग बांध के इतिहास में सबसे अधिक वर्षा से आई पंजाब में बाढ़
पौंग बांध के कैचमेंट एरिया में अब तक के इतिहास की सबसे अधिक वर्षा ने पंजाब को बाढ़ की स्थिति में पहुंचाया है। वहीं अब मौसम विभाग ने अगले तीन-चार दिनों तक भारी वर्षा की संभावना से इंकार किया है। उधर, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में भी वर्षा का दौर शुक्रवार को थम गया। जिससे राहत कार्यों में तेजी आई है।
बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी ने बताया कि 1988 के बाद पंजाब में चार बार अधिक बारिश हुई है लेकिन उस समय भी इतना पानी कभी नहीं आया। उन्होंने बताया कि 1988 में पौंग बांध में 7.9 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी आया था जो इस वर्ष 11.7 बीसीएम आया है। वहीं, पंजाब में करीब 2000 गांव डूब गए हैं।
बांध नहीं होते तो जून से ही पंजाब में बाढ़ आ गई होती
बांध भरते समय भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, ग्लोबल फारकास्ट सिस्टम आदि से जानकारी लेकर पानी छोड़ने या स्टोर करने के बारे में निर्णय लिया जाता है। इन संस्थानों का कहना है कि 15 सितंबर तक ब्यास व सतलुज के कैचमेंट एरिया में अधिक बड़ी बरसात नहीं है। उन्होंने कहा कि जितनी बारिश इस बार हुई है, यदि ये बांध नहीं होते तो जून से ही पंजाब में बाढ़ आ गई होती।
पीएम मोदी बाढ़ प्रभावित राज्यों का करेंगे दौरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही बाढ़ प्रभावित राज्यों का दौरा कर स्थिति का जायजा लेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। भारी बारिश ने उत्तर भारतीय राज्यों को बुरी तरह प्रभावित किया है, सड़कें और संपत्तियां नष्ट हो गई हैं और कई लोगों की जान चली गई है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्यों के कुछ हिस्से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं।
हरियाणा में सेना ने संभाला मोर्चा, यमुना हो रही शांत
हरियाणा में लगातार हो रही वर्षा और नदियों व ड्रेनों के उफान के कारण बाढ़ का खतरा गहरा गया है। इस संकट से निपटने के लिए पहली बार सेना की मदद ली गई है। शुक्रवार को सेना के 80 जवानों ने झज्जर के बहादुरगढ़ में मोर्चा संभाला है। फरीदाबाद में यमुना, सिरसा में घग्गर, कुरुक्षेत्र में मारकंडा और अंबाला में टांगरी नदी पूरे उफान पर आ गई है।
उधर, यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज पर 106 घंटे बाद जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ गया है। यहां जलस्तर एक लाख क्यूसेक से कम होने पर अब बैराज के फ्लड गेट खोले गए हैं, जिससे धीरे-धीरे पानी यमुना नदी में छोड़ा जा रहा है। हिसार-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे-52, कोटपूतली-बठिंडा नेशनल हाईवे 148बी और दिल्ली-हिसार नेशनल हाईवे पर दो फीट पानी भरा है।
कुल्लू में मिले तीन शव, किन्नौर के लिप्पा में बनी झील
हिमाचल में वर्षा के कारण बाढ़ और भूस्खलन के कारण लोगों की मुसीबतें कम नहीं हो पा रही हैं। कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर मंडी जिले के झलोगी में बनी सुरंग का साउथ पोर्टल धंस गया है। वहीं कुल्लू में शुक्रवार को इनर अखाड़ा बाजार में मलबे में दबे तीन क्षत-विक्षत शव मिले हैं।
हिमाचल में अभी भी लोग लापता
गुरुवार सुबह पहाड़ी से भूस्खलन हुआ था। अभी भी कई लोग लापता हैं। चंबा-तीसा मार्ग पर एक कार पहाड़ी से गिरी चट्टानों की चपेट में आकर 700 मीटर गहरी बैरास्यूल नदी में जा गिरी। हादसे में दो युवकों की मौत हो गई।
किन्नौर जिले के लिप्पा गांव में गुरुवार शाम आई बाढ़ में मलबा और पत्थर आने से कृत्रिम झील बन गई है। प्रदेश में भूस्खलन के कारण चार राष्ट्रीय राजमार्ग और 1087 सड़कें बंद हैं। मौसम विभाग ने अगले दो दिन धूप खिलने के साथ कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा की संभावना जताई है।
मणिमहेश श्रद्धालुओं को बचाया गया
चंबा जिले के भरमौर में फंसे मणिमहेश श्रद्धालुओं की जान बचाने के लिए वायुसेना के दो चिनूक हेलीकॉप्टरों ने शुक्रवार को 12 उड़ानें भरीं। इस दौरान 524 श्रद्धालुओं को सुरक्षित पहुंचाने के साथ तीन शवों को भी लाया गया।
झेलम के बाद डराने लगी वुलर झील
झेलम नदी में आई बाढ़ का सामना कर रही कश्मीर घाटी पर एक और बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। घाटी के कुछ इलाकों में तबाही मचाने के बाद झेलम और उसकी सहायक नदियां तो शांत हो गई, लेकिन उत्तरी कश्मीर के बांडीपोरा में वुलर झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इसके चलते झील के आसपास के निचले गांवों में बाढ़ की आशंका बनी हुई है, जिससे लोगों में दहशत है।
गुरुवार देर रात को ही प्रशासन व पुलिस ने झेलम और वुलर के किनारों पर बसे कुल्हामा गांव के पास कुछ परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है। वहीं जम्मू में दूसरे दिन मौसम साफ रहा और खिली धूप के बीच लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग नौवें दिन भी बंद रहा। मां वैष्णो देवी यात्रा भी 11वें दिन शुरू नहीं हो सकी है।
चारधाम यात्रा से हटी रोक
आपदा के चलते पांच दिन स्थगित रहने के बाद चारधाम यात्रा आज शनिवार से रोक हट जाएगी। हालांकि, हाईवे कई जगह अवरुद्ध होने के कारण अभी तीर्थयात्री गंगोत्री व यमुनोत्री धाम नहीं जा पाएंगे। राज्य के अधिकतर क्षेत्रों में वर्षा की गति मंद पड़ी है। वर्षा लगभग रुकने से भूस्खलन व भूधंसाव जैसी स्थिति भी देखने को नहीं मिली।
इसलिए बदरीनाथ, केदारनाथ व हेमकुंड साहिब जाने वाले वह तीर्थयात्री शुक्रवार को अगले पड़ावों के लिए रवाना हो गए, जो पिछले पांच दिन से विभिन्न स्थानों पर यात्रा सुचारु होने का इंतजार कर रहे थे। शुक्रवार को पहाड़ से मैदान तक आंशिक बादल रहे। मौसम विभाग ने शनिवार को देहरादून, बागेश्वर और नैनीताल में वर्षा का यलो अलर्ट जारी किया है।
दौसा में बांध भरा, अजमेर में जलभराव
राजस्थान में वर्षा का दौर जारी रहने से नदी-नाले उफान पर हैं। दौसा जिले में मोरल बांध पूरी तरह से भर गया है। इससे एनिकट की दीवार टूट गई और मिट्टी में कटाव होने से आसपास के इलाके पानी में डूब गए। अजमेर में बोराज तालाब की दीवार टूटने से करीब एक हजार घरों में पानी भर गया। उदयपुर में एक युवक झील में गिरकर पानी में बह गया।
अरुणाचल प्रदेश में ग्लेशियर पिघलने से झील फटने से बाढ़ की आशंका
अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी हिमालय में ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने ने चिंता बढ़ा दी है। वैज्ञानिकों ने ऊर्ध्वाधर खूंटों का उपयोग करके रिकॉर्ड 1.5 मीटर बर्फ पिघलने का आकलन किया है।
पृथ्वी विज्ञान एवं हिमालय अध्ययन केंद्र (सीईएस एंड एचएस) ने बायोमिमेटिक और कम्प्यूटेशनल इंटेलिजेंस का उपयोग करके तवांग के गोरीचेन पर्वतीय क्षेत्र में खांगरी ग्लेशियर की निगरानी शुरू कर दी है। 2016 से 2025 तक सेंटिनल-2 डेटा का उपयोग करके ग्लेशियर का उपग्रह सर्वेक्षण करने से पता चलता है कि मागो चू बेसिन के नीचे ग्लेशियर में कमी के साथ-साथ प्रो-ग्लेशियल झीलों का विस्तार हो रहा है।
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