तितली के 7 साल बाद फिर अक्टूबर का तूफान, गजपति में रेड अलर्ट, भारी बारिश से डर
सात साल पहले तितली तूफान ने गजपति जिले में तबाही मचाई थी, जिसकी यादें आज भी ताज़ा हैं। अब फिर अक्टूबर में 'मोंथा' तूफान का खतरा मंडरा रहा है, जिससे भारी बारिश की आशंका है। गजपति, जो भूस्खलन संभावित क्षेत्र है, रेड अलर्ट पर है। प्रशासन 4000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का लक्ष्य रख रहा है और गर्भवती महिलाओं को मातृ गृह में शिफ्ट किया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। सात साल पहले आए तूफान के जख्म आज भी नहीं भरे हैं। साल 2018 में गजपति जिले ने तितली चक्रवात का तांडव देखा था। उस विनाशलीला की यादें आज भी लोगों के मन से नहीं मिटीं। अब उसी अक्टूबर महीने में गजपति जिला फिर एक नए तूफान का सामना करने जा रहा है।
हालांकि चक्रवात “मोंथा” आंध्र प्रदेश में लैंडफॉल करेगा, लेकिन इसका असर गजपति पर बहुत अधिक पड़ेगा। दक्षिण ओडिशा में इस तूफान के प्रभाव से भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गई है।
इस बार ओडिशा के लिए चिंता तेज हवाओं की नहीं, बल्कि बारिश की है, क्योंकि तेज बारिश से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। गजपति जिला भूस्खलन संभावित क्षेत्र में होने से प्रशासन और आम जनता दोनों ही चिंतित हैं।
मौसम विभाग ने गजपति जिले में रेड अलर्ट जारी किया है। इसके असर से जिले के अधिकांश इलाकों में बारिश हो रही है। अब तक 946 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जबकि कुल 4000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
कच्चे या असुरक्षित मकानों में रह रहे लोगों को हटाया जा रहा है। अब तक 166 गर्भवती महिलाओं की पहचान की गई है, जिनमें से 91 को “मातृ गृह” में शिफ्ट किया गया है।
सात साल पहले तितली ने जो दर्द दिया था, हाल ही में हुए भूस्खलनों ने उस घाव को फिर से हरा कर दिया है। और अब जब एक नया तूफान “मोंथा” आने वाला है, लोगों के मन में डर और बढ़ गया है।
बसे ज्यादा नुकसान गजपति जिले को
साल 2018 में अक्टूबर महीने में आए तितली तूफान ने दक्षिण ओडिशा में तबाही मचाई थी, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान गजपति जिले को हुआ था।
भारी और लगातार बारिश के कारण पहाड़ियों से पानी नीचे आने लगा और भयानक भूस्खलन हुआ। इस आपदा में लगभग 12 लोगों की मौत हो गई थी। बारिश और तूफान से बचने के लिए गुफाओं में शरण लिए लोगों की ज़िंदगी मिट्टी और पानी की धारा में बह गई।
पहाड़ी इलाकों में घरों में पानी घुस गया, मकान ढह गए और मिट्टी के नीचे लोग दबकर मर गए। उस कालरात्रि को गजपति के लोग आज भी नहीं भूल पाए हैं।
7 साल बाद फिर वही डर
हाल ही में हुई तेज बारिश के कारण गजपति जिले में कई जगहों पर भूस्खलन हुआ था। इस वजह से लोगों को फिर 2018 की उस भयावह रात की याद आने लगी है। अब जब मोंथा तूफान आने वाला है, डर और बढ़ गया है।
गजपति: भूस्खलन-प्रवण जिला
गजपति जिले में 129 भूस्खलन संभावित स्थान हैं। आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच जिले में हुए भूस्खलनों में 48 लोगों की जान गई, 71,834 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए, और 1,030 पालतू जानवरों की मौत हुई।
हर साल लगातार बारिश के कारण कहीं न कहीं सड़कें, घर और कभी-कभी लोगों की जान तक चली जाती है।
इसे देखते हुए सरकार ने पहले इन संवेदनशील इलाकों से लोगों को सुरक्षित समतल क्षेत्रों में स्थानांतरित करने की योजना बनाई थी। कई जगहों पर यह प्रक्रिया पूरी भी की गई, और कई जगहों के लिए जमीन चिन्हित की गई थी। लेकिन अब यह प्रक्रिया ठप पड़ी है।
हाल ही में हुए भूस्खलनों और अब 28 तारीख को आने वाले चक्रवात के मद्देनज़र लोग फिर से डर में जी रहे हैं — कि कहीं यह बारिश फिर किसी नई त्रासदी को जन्म न दे दे।

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