झारखंड से आया हाथी बना ओडिशा का ‘मेहमान’, प्यार से ‘कुमुनी’ बुलाते हैं ग्रामीण
ओडिशा में एक अनोखा दृश्य सामने आया है जहाँ झारखंड से आया एक नर हाथी ग्रामीणों का मन मोह रहा है। यह हाथी न तो खेत उजाड़ रहा है और न ही घरों में तोड़फोड़ कर रहा है बल्कि घरों के सामने भोजन मांगने की मुद्रा में सिर झुका देता है। ग्रामीण भी उसे दाना-पानी दे रहे हैं।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। इंसान और हाथी के बीच अक्सर टकराव और हिंसक घटनाओं की खबरें सुनने को मिलती हैं, लेकिन इस बार ओडिशा में एक अनोखा दृश्य सामने आया है। झारखंड से आया एक नर हाथी ग्रामीणों का मन मोह रहा है। न तो वह खेत उजाड़ रहा है, न ही घरों में तोड़फोड़ कर रहा है, बल्कि गांव पहुंचकर घरों के सामने भोजन मांगने की मुद्रा में सिर झुका देता है।
ग्रामीण भी उसके इस शांत स्वभाव से प्रभावित होकर उसे दाना-पानी दे रहे हैं। हाथी का यह अनोखा व्यवहार इंसान और वन्यजीव के बीच भरोसे की एक मिसाल बन गया है। दो दिन पहले यह हाथी मयूरभंज जिले के रासगोबिंदपुर रेंज में देखा गया था और फिलहाल यह बालेश्वर जिले के जलेश्वर ब्लॉक के आंबतुम्बा जंगल में डेरा डाले हुए है।
भोजन मिलने के बाद लौट जाता जंगल
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि यह नर हाथी पूरी तरह से शांत है। प्रतिदिन वह भोजन की तलाश में घरों के सामने आता है और जैसे ही लोग उसे खाना देते हैं, वह दोबारा जंगल की ओर लौट जाता है।
हाल ही में पश्चिम बंगाल के केशरेख रेंज के बड़े आमरा गांव और मयूरभंज के अमर्दा व नलगजा गांवों में भी इसी तरह का दृश्य देखा गया। वहां भी ग्रामीणों ने उसे भोजन कराया। हाथी की तस्वीरें और वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
ग्रामीणों ने इस नर हाथी का नाम ‘कुमुनी’ रख दिया है। उसके शांत और विनम्र स्वभाव ने गांववालों के बीच एक अलग ही पहचान बना दी है। वन विभाग सतर्क, दस सदस्यीय टीम निगरानी पर हालांकि नर हाथी फिलहाल आंबतुम्बा जंगल में है, लेकिन किसी अप्रिय घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
इसी को देखते हुए वन विभाग पूरी तरह से अलर्ट हो गया है। बरडिहा फारेस्टर प्रह्लाद नायक ने बताया कि ‘कुमुनी’ की गतिविधियों पर लगातार नजर रखने के लिए दस सदस्यीय विशेष टीम बनाई गई है।
सहानुभूति और सहअस्तित्व का संदेश यह घटना उस सामान्य तस्वीर से बिल्कुल अलग है जब इंसान और हाथी आमने-सामने आते ही संघर्ष की स्थिति बन जाती है। ‘कुमुनी’ का शांत स्वभाव और ग्रामीणों का भरोसा यह संदेश देता है कि इंसान और वन्यजीव सह अस्तित्व और सहानुभूति से एक-दूसरे के साथ रह सकते हैं।
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