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    Odisha News: ओडिशा में दो साल में 97 हजार सिकलसेल के मरीज मिले, अब तक 46.65 लाख लोगों की जांच

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 10:30 AM (IST)

    ओडिशा के 21 जिलों को राष्ट्रीय सिकलसेल रक्तहीनता उन्मूलन मिशन में शामिल किया गया है। जुलाई 2023 से 2025-26 तक 46.65 लाख लोगों की जांच में 97501 संक्रमित पाए गए। विद्यालयों आंगनबाड़ी केंद्रों और आदिवासी क्षेत्रों में जांच की जा रही है। सिकलसेल रोगियों को यात्रा व्यय के लिए 500 रुपये प्रतिमाह दिए जा रहे हैं और मुफ्त रक्त भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

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    ओडिशा में दो साल में 97 हजार सिकलसेल के मरीज मिले

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। राज्य के 21 जिले राष्ट्रीय सिकलसेल रक्तहीनता उन्मूलन मिशन के तहत शामिल किए गए हैं। जुलाई 2023 से 2025-26 की अवधि में राज्य में 46.65 लाख लोगों की जांच की गई। इनमें से 97 हजार 501 संक्रमित पाए गए। यह जानकारी राज्य सरकार की सिकलसेल और थैलेसीमिया प्रबंधन बैठक से मिली है।

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    सिकलसेल रक्तहीनता उन्मूलन मिशन के तहत अनुगुल, बलांगीर, बालेश्वर, बरगढ़, बौद्ध, देवगढ़, गजपति, गंजाम, झारसुगुड़ा, कालाहांडी, कंधमाल, केन्दुझर, कोरापुट, मलकानगिरी, मयूरभंज, नबरंगपुर, नुआपड़ा, रायगढ़ा, संबलपुर, सुबर्णपुर और सुंदरगढ़ जिले शामिल हैं।

    विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों में जन्म से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों की जांच आरबीएसके टीम द्वारा की जा रही है, वहीं गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग एंटी-नेटल केयर के दौरान की जाती है। आदिवासी क्षेत्रों में मोबाइल हेल्थ यूनिट्स के माध्यम से जांच की सुविधा दी गई है। शहरी क्षेत्रों में आयुष्मान आरोग्य मंदिर और स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर जांच की सुविधा उपलब्ध है।

    प्रत्येक पंजीकृत सिकलसेल रोगी को यात्रा व्यय के लिए उनके बैंक खाते में प्रतिमाह 500 रुपये दिए जा रहे हैं और उन्हें मुफ्त रक्त उपलब्ध कराया जा रहा है। ब्लड पैक सर्विस चार्ज से भी उन्हें मुक्त रखा गया है। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। वहीं, 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के लिए अधिकतम 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है।

    स्वास्थ्य सचिव अश्वती एस. की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राज्य में सिकलसेल और थैलेसीमिया की वर्तमान स्थिति, प्रारंभिक पहचान, रोकथाम संबंधी कदम, इलाज की सुविधा और रोगी सेवा की समीक्षा की गई। इसके साथ ही स्क्रीनिंग, जेनेटिक काउंसलिंग और निदान सुविधाओं पर भी चर्चा हुई।

    बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक वृंदा डी., डॉ. विजय महापात्र, स्मिता विश्वाल, डॉ. जितेंद्र बेबरता, डॉ. विश्वमोहन मिश्रा और श्रीकांत माझी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।