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    बांग्लादेशियों को पकड़ने के लिए ज़ोरदार छापेमारी, ओडिशा के तरिकुंद से 21 संदिग्ध हिरासत में

    By SHESH NATH RAIEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Wed, 03 Dec 2025 10:36 AM (IST)

    जगतसिंहपुर पुलिस ने बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने के लिए तरिकुंद हाई स्कूल के पास दरियापुर बस्ती में छापेमारी की। इस दौरान 21 संदिग्धों ...और पढ़ें

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    21 संदिग्ध हिरासत में

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें उनके देश वापस भेजने के लिए जगतसिंहपुर पुलिस द्वारा जोरदार छापेमारी जारी रही है।

    मंगलवार रात में तरिकुंद हाई स्कूल के पीछे स्थित दरियापुर बस्ती में पुलिस ने छापेमारी कर 21 बांग्लादेशी संदिग्ध को हिरासत में लिया है। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है।

    दरियापुर बस्ती में छापेमारी की गई

    बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें उनके देश भेजने के उद्देश्य से जगतसिंहपुर पुलिस की ओर से मंगलवार देर रात यह अभियान चलाया गया। तरिकुंद कॉलेज के पीछे दरियापुर बस्ती में छापेमारी की गई, जहां से 21 संदिग्धों को पुलिस ने हिरासत में लिया।

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    अतिरिक्त एसपी सत्यव्रत दास के नेतृत्व में करीब दो प्लाटून फोर्स और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस छापेमारी में शामिल थे। लगभग 20 घरों में जांच की गई, जिसमें से 15 पुरुष और महिलाएं तथा 6 छोटे बच्चों को शक के आधार पर उठाकर पूछताछ की जा रही है।

    फेरी व्यवसाय सहित विभिन्न व्यवसायों में लगे 

    उन्हें बिरीडी-बागलपुर में खोले गए चक्रवात राहत आश्रय स्थल में रखा गया है। सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों से वहां पश्चिम बंगाल के पहचान पत्र धारक लोग रह रहे थे। वे फेरी व्यवसाय सहित विभिन्न व्यवसायों में लगे थे।

    उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी धनिपुर-बेहरामपुर बस्ती और तरिकुंद कॉलेज के पीछे स्थित बस्ती में जांच की गई थी। बेहरामपुर में छापेमारी के दौरान बड़ी मात्रा में हथियार जब्त किए गए थे।यह भी सामने आया था कि सिकंदर आलम उर्फ़ सिको उन्हें वहां लाकर आश्रय दे रहा था। 

    30 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लेकर जांच

    दोनों बस्तियों से 30 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लेकर जांच की गई थी, जिसमें 20 लोगों को बांग्लादेशी के रूप में पहचाना गया था और उन्हें बांग्लादेश भेज दिया गया था।

    पारादीप में भी जांच के दौरान 3 लोगों को शक के आधार पर हिरासत में लिया गया लेकिन वे पश्चिम बंगाल क्षेत्र के मत्स्यजीवी निकलने पर उन्हें छोड़ दिया गया।