Odisha News: महिलाओं के खिलाफ अपराध में सिर्फ 9.24% पर दोष सिद्ध, DGP ने पुलिस को दिए ये निर्देश
ओडिशा के डीजीपी योगेश बहादुर खुरानिया ने महिला सुरक्षा पर आयोजित एक कार्यशाला में पुलिस अधिकारियों से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में दोषसिद्धि दर सुधारने के लिए कहा। उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए राज्य की कम दोषसिद्धि दर पर चिंता व्यक्त की और त्वरित जांच पर जोर दिया।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। ओडिशा के डीजीपी योगेश बहादुर खुरानिया ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे महिलाओं के खिलाफ अपराधों में दोषसिद्धि दर सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
महिला सुरक्षा पर आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीजीपी खुरानिया ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में दोषसिद्धि दर लगभग 9.24 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 25.3 प्रतिशत से काफी कम है।
हमें त्वरित जांच और पीड़ितों को सहानुभूतिपूर्ण सहयोग देकर इस अंतर को कम करना होगा।
यह एक दिवसीय कार्यशाला ओडिशा पुलिस की क्राइम अगेंस्ट वुमेन एंड चिल्ड्रेन विंग द्वारा आयोजित की गई थी, जिसमें रेंज आईजीपी, डीआईजी और एसपी शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने ओडिशा पुलिस को महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने का निर्देश दिया है।
डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों को सलाह दी कि वे भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) जैसी तीन नई आपराधिक कानूनों के तहत उपलब्ध सुविधाओं जैसे—शॉर्ट टाइम इन्वेस्टिगेशन, जीरो एफआईआर और ई-एफआईआर का उपयोग करें, ताकि कम समय में दोषसिद्धि सुनिश्चित हो सके।
खुरानिया ने बताया कि राज्यभर में 537 थानों में विशेष महिला और बाल डेस्क खोले गए हैं, जो महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की निगरानी करेंगे।
महिला और बाल तस्करी को रोकने तथा लापता व्यक्तियों को खोजकर वापस लाने के लिए क्राइम अगेंस्ट वुमेन एंड चिल्ड्रेन विंग ने 37 एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स की स्थापना की है। इसके अलावा, राज्य के 100 से अधिक थानों में महिला अधिकारियों को थानेदार नियुक्त किया गया है।
डीजीपी ने 13 जिलों के एसपी, जांच अधिकारियों, पर्यवेक्षक अधिकारियों और लोक अभियोजकों को प्रमाण पत्र प्रदान किए, जिन्होंने नाबालिगों के दुष्कर्म मामलों में दोषियों की त्वरित दोषसिद्धि सुनिश्चित की। इन 13 मामलों में से 11 में आरोपियों को 20 साल या उससे अधिक की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
एसपी, रेंज आईजीपी और डीआईजी को निर्देश दिया गया है कि वे आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग कर ऐसे मामलों की जांच तेजी से पूरी करें और आरोप पत्र दाखिल करें।
बाद में पत्रकारों से बातचीत में डीजीपी ने बताया कि सरकार ने पुलिस अधिकारियों को जांच में सहयोग के लिए धन आवंटित किया है और सभी थानों को अतिरिक्त वाहन उपलब्ध कराए गए हैं।
उन्होंने कहा कि विभिन्न जिलों में 20 नए साइबर पुलिस स्टेशन स्वीकृत किए गए हैं। पहले चरण में जिला मुख्यालय नगरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
डीजीपी ने कहा कि तटीय सुरक्षा के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। रिक्तियों को भरने के लिए पुलिसकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
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