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    Odisha News: सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, राज्य सरकार से मांगा जवाब

    By SHESH NATH RAIEdited By: Krishna Bahadur Singh Parihar
    Updated: Wed, 10 Dec 2025 10:33 AM (IST)

    ओडिशा में सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले पर जवाब मांगा है। कर्मचारियों के आंदोलन को लेक ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। राज्य में सरकारी कर्मचारी बार-बार आंदोलन कर रहे हैं और अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए ड्यूटी से अनुपस्थित रह रहे हैं। इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही—यह आरोप लगाते हुए दायर जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है।

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    मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस एम.एस. रमण की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि ओडिशा में सरकारी अधिकारी और कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं, जबकि उनकी सेवा शर्तों के अनुसार कार्य बहिष्कार और हड़ताल प्रतिबंधित है। इसके बावजूद ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

    हाल ही में शिक्षकों का आंदोलन चर्चा का विषय बना हुआ है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जब शिक्षक आंदोलन पर हों, तो स्कूलों में पढ़ाई कैसे चल रही है? अदालत ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

    हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में प्रतिवादी बनाए गए मुख्य सचिव, राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव, ओएएस एसोसिएशन और ओडिशा रेवेन्यू एम्प्लॉयीज़ एसोसिएशन को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 23 दिसंबर को होगी।

    याचिका में यह भी उल्लेख है कि 30 जून को भुवनेश्वर नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त रत्नाकर साहू पर कार्यालय परिसर में कुछ लोगों ने हमला किया था। आरोप लगाया गया कि हमलावर सत्तारूढ़ दल के समर्थक थे। इसके बाद बीएमसी कर्मचारियों ने तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए पूरे दिन धरना दिया। साहू की शिकायत पर खारवेल नगर थाने में दर्ज मामले में पुलिस ने पहले तीन लोगों को गिरफ्तार किया था।

    लेकिन इस मामले में जगन्नाथ प्रधान की गिरफ्तारी की मांग को लेकर ओएएस एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने मुख्य सचिव से मुलाकात की। इसके बाद विभिन्न जिलों में ओएएस अधिकारियों ने सामूहिक अवकाश लेकर विरोध किया। इससे प्रशासनिक कामकाज गंभीर रूप से प्रभावित हुआ और आम जनता परेशान हुई।

    आखिरकार पुलिस ने जगन्नाथ प्रधान को गिरफ्तार किया। याचिका में कहा गया है कि जांच और गिरफ्तारी जांच एजेंसी का काम है, किसी विशेष व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाना एक तरह का ब्लैकमेल है।

    अगस्त में ओडिशा रेवेन्यू एम्प्लॉयीज़ एसोसिएशन ने भी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन किया और सदस्य सामूहिक अवकाश पर चले गए। इससे प्रशासन लगभग ठप हो गया। जबकि ओडिशा गवर्नमेंट सर्विस कंडक्ट रूल्स के अनुसार सरकारी कर्मचारी न हड़ताल कर सकते हैं, न आंदोलन। नियमों का पालन कठोरता से नहीं किया जा रहा।

    याचिकाकर्ता ने मांग की है कि आंदोलन कर ड्यूटी से अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ वेतन कटौती, अनुशासनात्मक कार्रवाई, और सेवा से बर्खास्तगी तक की कार्रवाई सरकार करे।

    याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनुप कुमार महापात्र और राज्य सरकार की ओर से एजीए देवाशीष त्रिपाठी मामले की पैरवी कर रहे हैं।