उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले दिल्ली में नेताओं का जमघट, ओडिशा में सियासी हलचल तेज
उपराष्ट्रपति चुनाव के चलते राष्ट्रीय राजनीति में सरगर्मी है। बीजद सुप्रीमो नवीन पटनायक मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल दिल्ली में हैं। बीजद का रुख अभी तक स्पष्ट नहीं है जिससे अटकलें तेज हैं। ओडिशा में भाजपा सरकार बनने के बाद बीजद के प्रति भाजपा का रुख नरम रहा है जिससे नवीन पटनायक एनडीए उम्मीदवार का समर्थन कर सकते हैं।

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। उपराष्ट्रपति चुनाव मंगलवार को होना है, ऐसे में राष्ट्रीय राजनीति के साथ-साथ ओडिशा की सियासत में भी हलचल तेज हो गई है।
बीजद सुप्रीमो तथा पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मन्मोहन सामल सभी दिल्ली का रुख कर चुके हैं। इसी से अटकलों का दौर तेज है कि ओडिशा को लेकर देश की राजधानी दिल्ली में कोई बड़ी राजनीतिक रणनीति तैयार हो रही है।
बीजेडी का रुख बना रहस्य
संख्याबल को देखें तो एनडीए उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है। लोकसभा में ओडिशा से भाजपा के 20 सांसद हैं, जबकि राज्यसभा में बीजेडी के 7 और भाजपा के 3 सदस्य।
ऐसे में बीजेडी का समर्थन जीत के लिए निर्णायक नहीं है, फिर भी भाजपा नेतृत्व अतिरिक्त बढ़त के लिए बीजेडी को साथ लाने में जुटा है। सवाल है कि बीजेडी क्या रुख अपनाएगी।
नवीन पटनायक ने दिल्ली पहुंचकर उपराष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने की पुष्टि तो की, लेकिन पार्टी की रणनीति पर चुप्पी साध ली। इधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मन्मोहन सामल और मुख्यमंत्री माझी को भी दिल्ली बुलाए जाने से सियासी चर्चाएं और तेज हो गई हैं।
त्रिशंकु स्थिति में बीजेडी
बीते समय में कई मौकों पर बीजेडी ने एनडीए को बिना मांगे समर्थन दिया है। हालांकि इस बार समीकरण बदले हुए हैं, क्योंकि बीजेडी अब सत्ता से बाहर है।
पार्टी के भीतर से राय आ रही है कि एनडीए उम्मीदवार का समर्थन न किया जाए, वरना संदेश जाएगा कि अब भी भाजपा से अंदरूनी समझौता है।
विपक्षी उम्मीदवार का साथ देने पर केंद्र सरकार की नाराजगी का खतरा है और मतदान से दूर रहने पर राष्ट्रीय राजनीति में अप्रासंगिक होने का डर। यही वजह है कि बीजेडी एक त्रिशंकु स्थिति में फंसी नजर आ रही है।
मोदी से मुलाकात पर नजरें
नवीन पटनायक के दिल्ली दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की चर्चा भी तेज है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
भाजपा को नाराज करने से बचेंगे नवीन?
राजनीतिक हलकों का मानना है कि नवीन पटनायक अंततः एनडीए उम्मीदवार का समर्थन कर सकते हैं।वजह यह कि राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद भी बीजेडी के प्रति उसका रुख अपेक्षाकृत नरम रहा है।
चुनाव प्रचार के दौरान बीजेडी सरकार पर आरोप जरूर लगे थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा ने कठोर कदम नहीं उठाए।ऐसे में नवीन का भाजपा को नाराज करना फिलहाल मुश्किल माना जा रहा है।
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