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    पुरी जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं से वसूली का मामला उजागर, तीन सेवायत निलंबित

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 02:03 AM (IST)

    पुरी जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं से अवैध वसूली का मामला सामने आया है, जिसके बाद मंदिर प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन सेवायतों को निलंबित कर दिया है। इन सेवायतों पर दर्शन और अन्य सेवाओं के लिए अधिक पैसे वसूलने का आरोप है। श्रद्धालुओं ने इस घटना पर नाराजगी जताई है और प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मंदिर प्रशासन ने भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने का आश्वासन दिया है।

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    पुरी जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं से वसूली पर तीन सेवायत निलंबित। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, अनुगुल। भगवान श्रीजगन्नाथ के पवित्र धाम पुरी श्रीमंदिर में श्रद्धालुओं से अवैध वसूली के मामले में बड़ा कदम उठाते हुए श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने तीन सेवायतों को निलंबित कर दिया है। प्रशासन ने यह कार्रवाई जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद की।

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    जानकारी के अनुसार, श्रद्धालुओं की शिकायत पर मंदिर प्रशासन ने जांच शुरू की थी। जांच में पाया गया कि नारायण पंडा (सुआर बादु सेवायत) और राजाराम खुन्टिया (खुन्टिया सेवायत) ने मंदिर परिसर के ‘बहारा कथा’ क्षेत्र के पास श्रद्धालुओं से अवैध रूप से पैसे वसूले। वहीं, तीसरे सेवायत बेना महासुआर (महासुआर सेवायत) पर मंदिर की परंपरा के विरुद्ध वनस्पति घी के उपयोग के लिए प्रेरित करने का आरोप साबित हुआ।

    मामले की गंभीरता को देखते हुए एसजेटीए ने तीनों सेवायतों को दो महीने के लिए निलंबित कर दिया है। साथ ही यह भी चेतावनी दी है कि अगर निलंबन अवधि में दोबारा कोई अनुशासनहीनता पाई गई तो और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

    एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिन्द कुमार पाढ़ी ने कहा कि “मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था सर्वोपरि है। कोई भी सेवायत नियमों का उल्लंघन करता है या श्रद्धालुओं से जबरन धन वसूलता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

    मंदिर प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि श्रद्धालुओं की सुविधा, व्यवस्था और पारदर्शिता बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रशासन ने मंदिर परिसर में निगरानी और सख्त अनुशासन व्यवस्था को और मजबूत करने की बात कही है।

    गौरतलब है कि श्रीजगन्नाथ मंदिर में हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में प्रशासन की यह कार्रवाई न केवल अनुशासन बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे यह भी संदेश गया है कि आस्था के स्थल पर अनुचित आचरण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।