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    Sundergarh News: युवाओं को IAS बनाने के नाम पर फूंके लाखों रुपये, चंद महीनों में बंद हुआ कोचिंग सेंटर

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 03:40 PM (IST)

    ब्रजराजनगर महाविद्यालय में अगस्त 2024 में शुरू हुआ आईएएस कोचिंग सेंटर केवल नौ महीने में ही बंद हो गया। एमसीएल ने सीएसआर फंड से 78 लाख रुपये प्रति वर्ष खर्च कर 60 छात्रों को प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना दिखाया था। कोचिंग कोटा की कैरियर प्वाइंट संस्था द्वारा दी जा रही थी। केंद्र बंद होने से छात्रों में निराशा है और योजना पर सवाल उठ रहे हैं।

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    लाखों फूंक कर ठप हुआ आईएएस कोचिंग सेंटर

    संवाद सूत्र, ब्रजराजनगर। अगस्त 2024 को ब्रजराजनगर महाविद्यालय में जोरशोर से शुरू हुआ आईएएस कोचिंग सेंटर मात्र नौ महीने में ही बंद हो गया। उद्घाटन के समय मंच पर विधायक सह राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी, झारसुगुड़ा विधायक टंकधर त्रिपाठी, तत्कालीन जिलापाल अबोली सुनील नरवणे, जिला पुलिस तत्कालीन अधीक्षक परमार स्मित पराशोत्तमदास और सीएमडी उदय ए. कावले मौजूद थे।

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    कोटा राजस्थान की संस्था कैरियर प्वाइंट कोचिंग का संचालन कर रही थी। एमसीएल ने अपने सीएसआर फंड से हर वर्ष 78 लाख रुपये खर्च कर कम से कम 60 बच्चों को प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना दिखाया था, मगर इस वर्ष 1 मई से केंद्र बंद हो गया। जानकारी मिली है कि अब तक 40 लाख रुपये कैरियर प्वाइंट को दिए जा चुके हैं, जबकि शेष भुगतान लंबित है।

    छात्रों में निराशा है और जिला प्रशासन भी अब इस योजना के औचित्य पर सवाल उठा रहा है। एक अधिकारी का कहना है “जब बच्चों को कोई लाभ नहीं हो रहा है तो लाखों रुपये खर्च करने का कोई फायदा नहीं। वहीं महाविद्यालय के प्राध्यापकों का कहना है कि छात्रों को समय सारणी और कक्षाओं की जानकारी दी गई थी, लेकिन उनकी रुचि और मानसिकता में कोई ठोस परिवर्तन नहीं दिखा।

    एक सेवानिवृत्त शिक्षक ने तंज कसते हुए कहा कि विडंबना देखिए, झारसुगुड़ा जिला आज न्यूनतम शिक्षण स्तर सुधारने वाले जिलों में शामिल है। यहां ‘उदयांतारा’ जैसी योजनाएं चल रही हैं, जिनमें आठवीं कक्षा के बच्चों को गिनती, ABCD और शब्द लिखना सिखाया जा रहा है, और दूसरी तरफ इन्हीं बच्चों को कलेक्टर बनाने के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर आईएएस कोचिंग सेंटर खोला गया।

    एक अभिभावक ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उनकी बच्ची को सपने तो दिखाया गया, मगर बीच में बंद होने से निराश है वहीं, एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि यह उदाहरण दिखाता है कि जिला खनिज फंड और सीएसआर के करोड़ों रुपये योजनाओं के नाम पर केवल बाहरी संस्थाओं और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने में खर्च किए जा रहे हैं।

    उन्होंने कहा नगर में करोड़ों खर्च कर सीसीटीवी नहीं लग पाए, उन विद्यालयों में भी भवन का निर्माण हो रहा है जहां पर पहले से अधिक भवन है बच्चे कम है। ऐसे में अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए और जिन योजनाओं से जनता को लाभ नहीं मिलता, केवल संस्थाओं और ठेकेदारों को फायदा होता है, उन पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।

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