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    अब पाकिस्तान का भारत के खिलाफ खेलना होगा और मुश्किल, लोकसभा में पेश हुआ खास विधेयक, मंजूरी का इंतजार

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 07:35 PM (IST)

    भारत के खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने आज लोकसफ में एक खास खेल विधेयत पेश किया है जिसका मकसद खेलों में हर तरह से पारदर्शिता लाना है। साथ ही इसमें खास स्थितियों में किसी भी टीम को सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में हिस्सा लेने से रोकने का अधिकार भी शामिल होगा।

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    लोकसभा में पेश हुआ खास खेल विधेयक

    नई दिल्ली, पीटीआई: लोकसभा में बुधवार को पेश किए गए राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक के अनुसार, केंद्र सरकार को 'असाधारण परिस्थितियों' में भारतीय टीमों और व्यक्तिगत खिलाड़ियों की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी पर 'उचित रोक लगाने' का अधिकार होगा।

    खेल विधेयक में राष्ट्रीय हित में निर्देश जारी करने और रोक लगाने की शक्ति संबंधी धारा भी शामिल की गई है जो भारतीय टीमों और खिलाड़ियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भागीदारी को स्पष्ट करता है। खिलाड़ियों की भागीदारी का मामला अक्सर पाकिस्तान के संबंध में सामने आता है।

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    बनेगा अधिनियम

    विधेयक में कहा गया है, केंद्र सरकार, असाधारण परिस्थितियों में और राष्ट्रीय हित में, एक आदेश के द्वारा, संबंधित खेल की किसी राष्ट्रीय टीम की अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में भागीदारी या राष्ट्रीय खेलों की गतिविधियों में किसी व्यक्ति की भागीदारी पर उचित रोक लगा सकती है। यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित होने और उसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही अधिनियम बनेगा।

    किसी भारतीय टीम को किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति देने का प्रश्न अधिकतर तब उठता है जब उसमें पाकिस्तान शामिल हो। विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने को लेकर सरकार की नीति पिछले कुछ वर्षों से बेहद स्पष्ट रही है। अगर कोई ऐसी प्रतियोगिता हो जिसमें कई देश भाग ले रहे हों तो उसमें भागीदारी पर कोई रोक नहीं है लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ द्विपक्षीय आयोजनों का तो सवाल ही नहीं उठता।

    2008 के बाद से है ऐसा

    मुंबई में 2008 में आतंकी हमले के बाद यही स्थिति बनी हुई है। खेल मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है कि इस तरह के फैसले करने में सरकार का पूरा नियंत्रण हो। जब भी राष्ट्रीय हित शामिल होता है, तो सरकार को ही तमाम सवालों के जवाब देने पड़ते हैं इसलिए अंतिम फैसला करने का अधिकार उसके पास होना उचित है। इस वर्ष अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में और खटास पैदा हो गई थी।

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