क्या चीन के साथ बनेगी भारत की बात, किस बात पर अड़ा है ड्रैगन? वांग-जयशंकर की मुलाकात पर दुनिया की निगाहें
India China Agreement चीन भारत के साथ कूटनीतिक संबंध (India China Relation) सुधारने के संकेत दे रहा है लेकिन आर्थिक संबंधों के मामले में अभी भी अनिश्चितता है। रेअर अर्थ मैन्ग्नेट की आपूर्ति को लेकर चीन सरकार की ओर से कोई संकेत नहीं मिला है। भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों की मांग और भारत सरकार के आग्रहों पर भी चीन ने ध्यान नहीं दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन की तरफ से भारत के साथ कूटनीतिक संबंधों को सुधारने को लेकर सहयोग के हर संकेत दिए जा रहे हैं लेकिन यह बात आर्थिक संबंधों के बारे में नहीं कही जा सकती। खास तौर पर रेअर अर्थ मैन्ग्नेट व कुछ दूसरे दुलर्भ धातुओं की आपूर्ति को खोलने को लेकर चीन सरकार की तरफ से कोई संकेत नहीं दिया गया है।
पीएम नरेन्द्र मोदी की चीन यात्रा
- इस बारे में चीन की सरकार ने ना तो भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों की मांग पर कोई ध्यान दिया है और ना ही भारत सरकार की तरफ से किए गए आग्रहों पर सकारात्मक संकेत दिए हैं।
- ऐसे में सोमवार शाम को चीन के विदेश मंत्री वांग यी और विदेश मंत्री एस जयशंकर की द्विपक्षीय मुलाकात पर उद्योग जगत की निगाहें टिकी हुई हैं।
- बताया गया है कि दोनों विदेश मंत्रियों की बैठक में पीएम नरेन्द्र मोदी की आगामी चीन यात्रा के अलावा दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा कारोबारी संबंधों से जुड़े होंगे।
किस बात पर अड़ा है ड्रैगन?
कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि रेअर अर्थ मैग्नेट को लेकर चीन इस बात पर अड़ा है कि वह सिर्फ उन देशों की कंपनियों को इसकी आपूर्ति करेगा, जिन्होंने इसके इस्तेमाल को लेकर समझौता किया है। यह समझौता यह सुनिश्चित करेगा कि चीन जो दुर्लभ धातु निर्यात करेगा उसका सैन्य क्षेत्रों में इस्तेमाल नहीं होगा।
गलत इस्तेमाल की संभावना
चीन ने अप्रैल 2025 में यह कहते हुए रेअर अर्थ मैग्नेट निर्यात को प्रतिबंधित किया था कि इसके रक्षा क्षेत्र में गलत इस्तेमाल की संभावना है। इस धातु का इस्तेमाल आटोमोबाइल सेक्टर में सबसे ज्यादा होता है। इसका असर भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों पर बहुत ज्यादा पड़ा है।
चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं
कुछ कंपनियों ने जापान व दूसरे देशों से इसकी आपूर्ति शुरू की है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। भारतीय कंपनियों के इस पक्ष को बी¨जग में भारतीय राजदूत ने भी उठाया था।लेकिन अभी तक चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
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