प्रियांक खरगे को 'मुर्ख' कहने पर असम में चढ़ा सियासी पारा, कांग्रेस ने हिमंत सरमा के बयान की निंदा की
कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे की असम के युवाओं पर टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने खरगे को 'मूर्ख' कहा और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। भाजपा ने कांग्रेस पर पूर्वोत्तर को अपमानित करने का आरोप लगाया है। इस मुद्दे पर असम का सियासी पारा चढ़ गया है।

असम में सियासी घमासान मंत्री के बयान पर मचा बवाल (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक के ग्रामीण विकास व आईटी मंत्री तथा कांग्रेस नेता प्रियांक खरगे की ओर से भारत के बढ़ते सेमीकंडक्टर उद्योग के संदर्भ में असम के युवाओं की क्षमता और प्रतिभा पर सवाल उठाने वाली विवादास्पद टिप्पणी के बाद असम में एक बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि उनकी सरकार प्रियांक के खिलाफ मामला दर्ज करने पर विचार कर रही है, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि असम में सेमीकंडक्टर इकाई जैसे बड़े उद्योग स्थापित करने के लिए कोई प्रतिभा नहीं है।
सरमा ने कहा कि प्रियांक अव्वल दर्जे के मूर्ख हैं, उन्होंने असमिया युवाओं का अपमान किया है। खरगे की टिप्पणी से पूरे राज्य में व्यापक आक्रोश फैल गया है, जिसकी मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ भाजपा ने कड़ी निंदा की है। मुख्यमंत्री ने खरगे पर तीखा हमला करते हुए उनके बयान को ''असम के युवाओं की गरिमा और कड़ी मेहनत का अपमान'' करार दिया।
उन्होंने कहा, ''प्रियांक खरगे ने खुद को एक अव्वल दर्जे के मूर्ख के रूप में उजागर किया है। उनकी टिप्पणी एक गहरी पूर्वाग्रही मानसिकता को दर्शाती है जो असम के युवाओं को नीची नजर से देखती है। उनकी शिक्षा और क्षमता पर सवाल उठाकर उन्होंने हमारे राज्य के हर युवा पेशेवर का अपमान किया है।
कांग्रेस ने उनके बयान की निंदा नहीं की है, जिससे साफ पता चलता है कि वे पूर्वोत्तर को किस नजर से देखते हैं। हम उनकी विभाजनकारी और अपमानजनक टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं।''
गौरव गोगोई को दी खुली चुनौती
असम प्रदेश भाजपा प्रवक्ता जयंत कुमार गोस्वामी ने असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गौरव गोगोई को खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो वे प्रियांक खरगे के असम विरोधी बयान की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित करें। कांग्रेस पार्टी ने असम और पूरे पूर्वोत्तर को लगातार अपमानित और भेदभावपूर्ण तरीके से देखा है।

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