बुर्के वाली महिलाओं की जांच पर होगा सख्ती से अमल, EC ने कहा- 'टीएन शेषन के वक्त से लागू है व्यवस्था'
चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव में बुर्का या परदे में आने वाली महिलाओं की पहचान के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं की तैनाती के फैसले का बचाव किया है। आयोग ने कहा कि यह व्यवस्था 1994 से टीएन शेषन के समय से लागू है और इसका सख्ती से पालन किया जाएगा। राजनीतिक दलों द्वारा सवाल उठाए जाने पर आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाताओं की पहचान अनिवार्य है और उनकी धार्मिक परंपराओं का सम्मान किया जाएगा।

राजनीतिक दलों को आयोग ने कड़ा जवाब दिया है (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बुर्का या फिर परदे में मतदान केंद्रों पर आने वाली महिलाओं की पहचान सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक मतदान केंद्र पर आंगनबाड़ी सेविकाओं की तैनाती के चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल कर रहे राजनीतिक दलों को आयोग ने कड़ा जवाब दिया है।
साथ ही कहा है कि यह कोई नई व्यवस्था नहीं है बल्कि 1994 में टीएन शेषन से समय से लागू है। चुनाव आयोग इसका देश भर में सख्ती से पालन कराने के लिए प्रतिबद्ध है। आयोग ने इस दौरान चुनाव आयुक्त टीएन शेषन के कार्यकाल के दौरान बुर्का व पर्दे में रहने वाली महिलाओं की पहचान को लेकर 21 अक्टूबर 1994 में जारी आदेश भी साझा किया है।
राजनीतिक दलों ने उठाया था सवाल
जिसमें साफ कहा है कि मतदान केंद्र में आने वाले ऐसी महिलाओं की पहचान सुनिश्चित करने और सहायता के लिए मतदान केंद्रों पर महिला अधिकारी की अनिवार्य रूप से तैनाती दी जाए। आयोग ने यह स्थिति तब स्पष्ट की है जब सपा सहित कुछ राजनीतिक दलों की ओर से इस फैसले पर लगातार सवाल उठाया खड़े किए जा रहे है।
संविधान के तहत मतदान के आने वाले मतदाताओं की पहचान अनिवार्य है। इस दौरान उनकी धार्मिक परंपराओं और सामाजिक व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा जाएगा। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा की घोषणा के समय राजनीतिक दलों की मांग पर बुर्का व परदे में मतदान केंद्रों पर आने वाली महिलाओं की पहचान सुनिश्चित करने के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं की तैनाती की घोषणा की थी।
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