बीजेपी ने बैंकों के अधिग्रहण के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा, NPA का आंकड़ा पेश कर दिया जवाब
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बैंकों के अधिग्रहण के मुद्दे पर कांग्रेस को जवाब दिया है। भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के समय बैंकों की हालत खराब थी, एनपीए बहुत ज्यादा था। भाजपा ने एनपीए के आंकड़े दिखाकर कांग्रेस को घेरा और कहा कि उनकी सरकार ने बैंकों को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

जयराम रमेश, अमित मालवीय। (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा ने कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश द्वारा देश में विदेशी कंपनियों द्वारा बैंकों का अधिग्रहण किए जाने की टिप्पणी के बाद रविवार को कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि स्वतंत्र भारत में सबसे खराब बैंकिंग संकट का दौर लाने वाली पार्टी किसी को भी उपदेश देने की स्थिति में नहीं है।
रमेश ने विदेशी कंपनियों को धीरे-धीरे भारतीय बैंकों का अधिग्रहण करने की अनुमति देने को अविवेकपूर्ण बताया था, कहा था कि इससे जोखिम बढ़ता है। उन्होंने याद दिलाया कि जनसंघ ने 1969 में विदेशी बैंकों के राष्ट्रीयकरण पर इंदिरा गांधी की आलोचना की थी।
दुबई की एमिरेट्स एनबीडी आरबीएल बैंक का अधिग्रहण कर रही- जयराम
रमेश ने कहा कि लक्ष्मी विलास बैंक का अधिग्रहण सिंगापुर के डीबीएस समूह ने किया, जबकि कैथोलिक सीरियन बैंक का अधिग्रहण कनाडा के फेयरफैक्स ने किया। इसके अलावा यस बैंक का अधिग्रहण जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन ने किया। अब दुबई की एमिरेट्स एनबीडी आरबीएल बैंक का अधिग्रहण कर रही है।
कांग्रेस ने भारत की बैंकिंग प्रणाली के पतन की पटकथा लिखी- अमित मालवीय
भाजपा के आइटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने रमेश की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस ने भारत की बैंकिंग प्रणाली के पतन की पटकथा लिखी। उन्होंने कहा कि संप्रग के तहत भारतीय बैंक राजनीतिक खिलौने बन गए थे, जिससे बैड लोन में वृद्धि हुई और घोटाले बढ़े।
मालवीय ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने व्यवस्था में सड़न पैदा की है। उन्होंने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2014-15 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध एनपीए 2.15 लाख करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 0.73 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
आज भारतीय बैंक मजबूत और लाभदायक हालत में- अमित मालवीय
मालवीय ने कहा कि आज भारतीय बैंक मजबूत और लाभदायक हालत में हैं, जो कांग्रेस द्वारा छोड़ी गई अव्यवस्था के विपरीत है। उन्होंने यह भी कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के निवेश और संचालन आरबीआइ की सख्त निगरानी में हैं, जो भारत की बैंकिंग प्रणाली में वैश्विक विश्वास का संकेत है।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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