शोर-शराबे में धुल गया मानसून सत्र का पहला हफ्ता, सोमवार से गतिरोध कम होने की उम्मीद; तैयारी में जुटे दल
संसद के मानसून सत्र का पहला हफ्ता हंगामे में बर्बाद हो गया। विपक्ष ने बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण के मुद्दे पर सदन में हंगामा किया और सरकार पर गरीबों का मताधिकार छीनने का आरोप लगाया। एनडीए ने विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया और कहा कि सरकार पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मतदाता सूची को अपडेट कर रही है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शोर-शराबे में संसद के मानसून सत्र का पहला सप्ताह धुल गया। लेकिन माना जा रहा है कि सोमवार से खासतौर पर लोकसभा की कार्यवाही सुचारू हो जाएगा। सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू होनी है और दोनों पक्षों के सदस्य इसकी तैयारी में जुट गए हैं।
शुक्रवार को भी संसद के दोनों सदन राजनीति का अखाड़ा बने रहे। बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण के मुद्दे पर विपक्ष ने शोरशराबा किया। विपक्ष ने जिन मुद्दों पर सदन नहीं चलने दिया, उन्हें ही सदन के बाहर जोरशोर से उठाया। मकर द्वार के सामने सांकेतिक कूड़ेदान बनाकर रख दिया।
विपक्ष ने जताया कड़ा विरोध
फिर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, सपा सांसद डिंपल यादव समेत कई सांसदों ने एसआईआर लिखी पर्चियां फाड़ीं और कूड़ेदान में डालकर विरोध प्रदर्शित किया। पैदल मार्च भी निकाला। पूरे सप्ताह दोनों पक्षों में सदन चलाने की सहमति सिर्फ उन मामलों में दिखी, जो जनहित से जुड़ी न होकर स्वयं संसद सदस्यों से संबंधित थी।
जैसे गुरुवार को राज्यसभा में तमिलनाडु के छह सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा था, लिहाजा तब तक सदन चलने दिया गया जब तक उनके विदाई भाषण चले। उसके तुरंत बाद हंगामा शुरू हो गया। शुक्रवार को भी तभी तक शांति रही, जब तक नए सदस्यों कमल हासन (एमएनएम), राजाथी, एसआर शिवलिंगम और पी. विल्सन (द्रमुक) का शपथ ग्रहण चला। जैसे ही उपसभापति हरिवंश ने प्रश्नकाल की घोषणा की, वैसे ही विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसके चलते दो बार सदन स्थगित करना पड़ा।
विपक्ष को एनडीए गठबंधन ने घेरा
- मतदाता पुनरीक्षण पर संसद के बाहर दोनों खेमों ने जमकर बयानबाजी की। मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा गरीबों का मताधिकार छीनने की है। सरकार डर के कारण मतदाता सूची पुनरीक्षित करने का प्रयास कर रही है।
- वहीं, जदयू सांसद संजय झा ने कहा कि एसआईआर बिहार में 2003 में भी एक महीने में ही हुआ था। सरकार भी उन्हीं की थी। विपक्ष क्या चाहता है? जिन 21 लाख लोगों की मृत्यु हो गई, उनका वोट डलवाना चाहता है? जो 26 लाख लोग स्थायी रूप से शिफ्ट हो गए हैं, वे दो जगह वोट डालें?
- समाजवादी पार्टी के नेता प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि हम शांतिपूर्ण तरीके से सरकार से मांग कर रहे हैं कि लोकतंत्र की हत्या करना बंद करो। सत्ता पक्ष की ओर से केंद्रीय मंत्री व जदयू सांसद ललन सिंह ने कहा कि जिस मतदाता की मृत्यु हो गई या स्थायी रूप से बिहार से चला गया है, वह क्यों वोट दे?
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