'वंदे मातरम' को लेकर प्रियंका गांधी ने सरकार पर किया पलटवार, कहा- 'असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की है कोशिश'
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने 'वंदे मातरम' पर पीएम मोदी के आरोपों को खारिज किया और कहा कि सरकार इस महामंत्र को विवादित कर पाप कर रही है। उन् ...और पढ़ें

प्रियंका गांधी ने सरकार पर किया पलटवार कहा राष्ट्रगीत देशवासियों के दिल ही नहीं कण-कण में (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वंदे मातरम को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लगाए आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वंदे मातरम हमारी आत्मा है और सरकार देश की आत्मा के इस महामंत्र को विवादित करने का बहुत बड़ा पाप कर रही है।
संसद में राष्ट्रगीत पर चर्चा को भाजपा सरकार की लोगों के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने की राजनीति का हिस्सा बताते हुए प्रियंका ने कहा कि वंदे मातरम देशवासियों के दिल ही नहीं कण-कण में जीवित है इस पर बहस नहीं हो सकती।
पीएम मोदी के आरोपों पर प्रियंका गांधी का पलटवार
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू पर वंदे मातरम को लेकर लगाए गए आरोपों को भी प्रियंका ने ऐतिहासिक दस्तावेजों के जरिए खारिज करने का प्रयास करते हुए कहा कि बंगाल के चुनाव में अपनी भूमिका के लिए पीएम ने इसे चुना है। प्रियंका गांधी ने सवाल उठाया कि संसद में ज्वलंत मुद्दों की बजाय केवल अतीत में जाना ही क्या चुने हुए जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है?
दरअसल सरकार पेपर लीक, बेरोजगारी, महंगाई, आरक्षण के साथ हो रहे खिलवाड़, महिलाओं की हालत सुधारने और युवाओं की परेशानी जैसी असलियत को छुपाना चाहती है। सरकार को अतीत की जगह वर्तमान और भविष्य की बात करने की चुनौती देते हुए प्रियंका ने कहा कि सच्चाई यह है कि इनका शासन दमन का शासन है। इनकी राजनीति दिखावे तथा इवेंट मैनेजमेंट की राजनीति है। चुनाव से चुनाव तक की राजनीति है।
वंदे मातरम की कुछ पंक्तियां हटाने के आरोपों का जवाब देते हुए प्रियंका ने कहा कि पीएम मोदी ने सदन में 20 अक्टूबर 1937 को नेहरू के लिखे पत्र का एक अंश पढ़ा मगर बाकी हिस्से छोड़ दिए जिसमें साफ तौर पर बताया गया था कि सांप्रदायिक तत्वों की ओर से कुछ हिस्से को लेकर विवाद पैदा किया जा रहा था।
पीएम ने इससे पूर्व 17 अक्टूबर 1937 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नेहरू को लिखे पत्र का जिक्र नहीं किया जो तब कोलकाता में कांग्रेस के अधिवेशन को आयोजित कर रहे थे। तब समय से पूर्व कोलकाता पहुंच कर नेहरू ने गुरूदेव रवींद्र नाथ टैगोर से इस चर्चा की जिसके अगले दिन गुरूदेव ने नेहरू को पत्र लिखे पत्र में कहा कि वंदे मातरम की पहली दो पंक्तियों का अर्थ इतना गहरा और व्यापक है कि बाकी अन्य पंक्तियों से अलग करने में कोई कठिनाई नहीं है।
गुरूदेव ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में हमेशा से यही दो अंतरे ही गाए जाते रहे हैं और इसे गाते हुए कुर्बानी देने वाले सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में इसे ऐसे ही गाते रहने देना उचित होगा। टैगोर ने यह भी कहा कि बाद में जोड़े गए अंतरों के सांप्रदायिक मायने निकाले जा सकते हैं और उस समय के माहौल में उनका इस्तेमाल अनुचित होगा।
प्रियंका गांधी का भाजपा पर निशाना
प्रियंका ने कहा कि इसके बाद 28 अक्टूबर 1937 को कांग्रेस कार्यसमिति ने प्रस्ताव पारित कर वंदे मातरम को राष्ट्रगीत घोषित किया और इस बैठक में महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, आचार्य नरेंद्रदेव, रवींद्रनाथ टैगोर सभी मौजूद और सहमत थे।
देश की आजादी के बाद संविधान सभा में डा राजेंद्र प्रसाद ने वंदे मातरम को राष्ट्रगीत घोषित किया तब लगभग इन्हीं महापुरूषों, बाबा साहब आंबेडकर के साथ ही वर्तमान सत्तापक्ष के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी मौजूद थे। तब किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई।
प्रियंका गांधी ने कहा कि वंदे मातरम जिसे संविधान सभा ने स्वीकार किया उसके स्वरूप पर सवाल उठाना उन महापुरूषों का अपमान करना है जिन्होंने अपने महान विवेक से निर्णय लिया और यह संविधान विरोधी मंशा को भी जाहिर करता है। पीएम पर निशाना साधते हुए प्रियंका ने कहा कि पीएम मोदी वह प्रधानमंत्री नहीं रहे जो एक समय में थे। यह दिखने लगा है और उनका आत्म विश्वास घटने लगा है।

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