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    रोहित आर्य के एनकाउंटर पर सियासत तेज , MVA ने सरकार पर ठेकेदारों को परेशान करने का लगाया आरोप

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 08:28 PM (IST)

    मुंबई के पवई में रोहित आर्य की घटना के बाद सियासत गरमाई। महाविकास अघाड़ी ने सरकार पर ठेकेदारों को परेशान करने का आरोप लगाया है। कहा जा रहा है कि रोहित आर्य को परियोजना के दो करोड़ रुपये नहीं मिले थे। पूर्व मंत्री दीपक केसरकर पर निजी खाते से भुगतान करने के आरोप लगे हैं। विपक्ष ने सरकार पर बकाया भुगतान और लापरवाही का आरोप लगाया है।

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    रोहित आर्य के एनकाउंटर पर सियासत तेज।

    राज्य ब्यूरो मुंबई। पवई में 17 बच्चों को बंधक बनाने के बाद पुलिस की गोली से मारे गए रोहित आर्य का मामला अब एक बड़े राजनीतिक मुद्दे में बदलता दिख रहा है। विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर ठेकेदारों को परेशान करने और उनके भुगतान में देरी करने का आरोप लगाया है।

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    कहा जा रहा है कि संदिग्ध रोहित आर्य परेशान था, क्योंकि सरकार उसकी परियोजना के लिए लगभग दो करोड़ रुपए की धनराशि मंजूर नहीं कर रही थी। साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने, जो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना से हैं, उसे अपने निजी खाते से भुगतान क्यों किया।

    अक्टूबर 2022 में केसरकर ने 'माझी शाला, सुंदर शाला' पहल के अंतर्गत प्रोजेक्ट ‘लेट्स चेंज’ का उद्घाटन किया था। इसके तहत स्कूली छात्रों को स्वच्छता मॉनिटर के रूप में कार्य करना था और लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर थूकने और कूड़ा फेंकने से रोकना था। आर्य को 20 जुलाई से दो अक्टूबर 2023 तक इसके लिए परियोजना निदेशक बनाया गया था।

    मैंने किसी का भुगतान नहीं किया- केसरकर

    शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे केसरकर ने कहा है मैंने किसी का भुगतान नहीं किया। मैंने शिष्टाचार के नाते चेक के माध्यम से उनकी मदद की। केसरकर ने रोहित पर भी कुछ आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग का मानना है कि उन्होंने एक वेबसाइट शुरू कर छात्रों से सीधे पैसे लिए। इसके लिए विभाग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है, जो जरूरी था।

    अब की देवेंद्र फडणवीस सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने कहा है कि ऐसी खबरें हैं कि उन्होंने स्कूलों से पैसा इकट्ठा किया। बता दें कि दादा भुसे भी एकनाथ शिंदे के कोटे से ही मंत्री हैं। सरकार ने एक स्पष्टीकरण में कहा है कि रोहित आर्य और उनकी कंपनी, अप्सरा मीडिया एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स का राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग से कोई आधिकारिक संबंध नहीं है।

    2021 में ही नौ लाख रुपए के वित्तपोषण के साथ मंजूरी मिली

    आर्य की सीएसआर परियोजना ‘स्वच्छता मॉनिटर’ को 2021 में ही नौ लाख रुपए के वित्तपोषण के साथ मंजूरी मिली थी, लेकिन इसके बाद के संस्करणों को कभी मंजूरी नहीं मिली। इसके बावजूद, संस्था ने स्कूलों से धन एकत्र करने के लिए बिना किसी मंजूरी के निजी तौर पर अपनी गतिविधियां जारी रखीं।

    पुणे स्थित सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुंभार ने कहा है कि यह तथ्य कि केसरकर ने रोहित आर्य को व्यक्तिगत रूप से पैसे दिए, गंभीर संदेह पैदा करता है। आमतौर पर कोई भी मंत्री किसी ठेकेदार को अपनी जेब से भुगतान नहीं करता। इसलिए, इस कृत्य के पीछे की मंशा और प्रशासन की भूमिका की स्वतंत्र रूप से जांच होनी चाहिए।

    कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना

    कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने भी सरकार को घेरते हुए कहा है कि कहा जा रहा है कि रोहित आर्य मानसिक रूप से बीमार है। अगर वह मानसिक रूप से बीमार था, तो उसे स्कूल शिक्षा विभाग की 'सुंदर स्कूल' योजना में स्वच्छता मॉनिटर का काम कैसे दिया गया ?

    वह लगातार कह रहा था कि उसका दो करोड़ रुपए का बिल बकाया है। क्या सरकार इन घटनाओं की गंभीरता पर ध्यान देगी? अगर नहीं, तो फिर काम क्यों करवा रही है? राज्य कंगाल हो गया है, और वे इसका दोष दूसरों पर डाल रहे हैं।

    राकांपा (शरदचंद्र पवार) के विधायक रोहित पवार ने आरोप लगाया है कि ठेकेदारों का 80,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया बकाया है। उन्होंने दावा किया कि भुगतान न मिलने के कारण, नागपुर और सांगली में एक-एक युवा ठेकेदारों ने आत्महत्या कर ली है। फिर भी, सरकार इसकी गंभीरता को समझती नहीं दिख रही है।

    शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि छात्रों को बंधक बनाकर रोहित आर्य ने जो किया उसकी निंदा की जानी चाहिए।

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