'मुझे हटाकर सदानंदन मास्टर को मंत्री बनाया जाना चाहिए', मोदी सरकार में मंत्री सुरेश गोपी ने ऐसा क्यों कहा?
केरल से भाजपा सांसद और मंत्री सुरेश गोपी ने अप्रत्याशित रूप से कहा कि उन्हें हटाकर सदानंदन मास्टर को मंत्री बनाया जाना चाहिए। उन्होंने सदानंदन मास्टर को बेहतर योग्य बताया, क्योंकि उन्होंने पार्टी के लिए वर्षों से सेवा की है। सुरेश गोपी के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है, कुछ लोग इसे उनकी निष्ठा के रूप में देख रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी (पीटीआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री और पर्यटन मंत्री सुरेश गोपी ने मंत्री पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई है और भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य सी. सदानंदन मास्टर को मंत्रिमंडल में अपनी जगह शामिल करने का सुझाव दिया है। उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में वापसी करने की इच्छा जताते हुए कहा कि उनकी आमदनी बंद हो गई है और वह अब अपना फिल्मी करियर जारी रखना चाहते हैं।
कन्नूर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए त्रिशूर के सांसद और अभिनेता से राजनेता बने गोपी ने कहा, "मैं अभिनय जारी रखना चाहता हूं। मुझे और कमाई करने की जरूरत है; मेरी आय अब पूरी तरह से बंद हो गई है।"
मैंने कभी मंत्री बनने के लिए प्रार्थना नहीं की- सुरेश गोपी
उन्होंने कहा, "मैं पार्टी का सबसे युवा सदस्य हूं। मैंने कभी मंत्री बनने के लिए प्रार्थना नहीं की। चुनाव से एक दिन पहले मैंने पत्रकारों से कहा था कि मैं मंत्री नहीं बनना चाहता, मैं अपना सिनेमा जारी रखना चाहता हूं। मैंने अक्टूबर, 2016 में पार्टी की सदस्यता ली थी.. मैं जनता द्वारा चुना गया पार्टी का पहला सांसद था और पार्टी को लगा कि मुझे मंत्री बनाना जरूरी है।"
मुझे हटाकर सदानंदन मास्ट को मंत्री बनाया जाना चाहिए- सुरेश गोपी
सदानंदन की उपस्थिति में गोपी ने कहा कि उनका राज्यसभा में मनोनयन उत्तरी कन्नूर जिले की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। उन्होंने कहा, "मैं यहां पूरी ईमानदारी से कह रहा हूं कि मुझे हटाकर सदानंदन मास्टर को (केंद्रीय) मंत्री बनाया जाना चाहिए। मेरा मानना है कि यह केरल के राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय बनेगा। मैं प्रार्थना करता हूं कि सदानंदन का सांसद कार्यालय जल्द ही मंत्री कार्यालय में अपग्रेड हो जाए।"
राजनीतिक हिंसा के शिकार रहे हैं सदानंदन मास्टर
कन्नूर से भाजपा के वरिष्ठ नेता सदानंदन मास्टर राजनीतिक हिंसा के शिकार रहे हैं। 1994 में माकपा कार्यकर्ताओं के एक कथित हमले में उन्होंने अपने दोनों पैर खो दिए थे। गोपी ने यह भी कहा कि कई लोगों को उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और गलत व्याख्या करने की आदत है। उन्होंने कहा कि अपने निर्वाचन क्षेत्र त्रिशूर के लोगों के लिए प्रजा शब्द का प्रयोग करने के लिए उनकी आलोचना हुई। उन्होंने सवाल किया, प्रजा शब्द के प्रयोग में क्या गलत है?
(समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ)
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