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    उपराष्ट्रपति चुनाव में I.N.D.I.A ने चला 'सुदर्शन' चक्र, धर्म संकट में फंसे चंद्रबाबू किसका देंगे साथ? TDP ने किया साफ

    उपराष्ट्रपति चुनाव में नया मोड़ आया है विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। इससे आंध्र प्रदेश की राजनीति में अटकलें तेज हो गई थीं कि क्या चंद्रबाबू नायडू विपक्ष का समर्थन करेंगे। टीडीपी ने विपक्ष की इस चाल का काट निकाल लिया है।

    By Digital Desk Edited By: Abhishek Pratap Singh Updated: Wed, 20 Aug 2025 10:40 AM (IST)
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    चंद्रबाबू नायडू की पार्टी किस उम्मीदवार का देगी साथ?

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति पद का चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है। विपक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम की घोषणा किए जाने के बाद इस मुकाबले में नया मोड़ आ गया है। आंध्र प्रदेश की राजनीति भी गरमा गई है।

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    सुदर्शन रेड्डी का नाम सामने आने के बाद चंद्रबाबू नायडू के अगले कदम को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या वो विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करेंगे या फिर अपने सहयोगी गठबंधन के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का साथ देंगे। क्योंकि विपक्ष को उम्मीद है कि आंध्र प्रदेश में जन्मे जस्टिस रेड्डी के चयन से टीडीपी को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इस मामले को लेकर टीडीपी ने अपना रुख साफ कर दिया है।

    क्या कहा टीडीपी ने?

    आंध्र प्रदेश में मंत्री और टीडीपी के महासचिव नारा लोकेश ने हाल ही में एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की और एकजुटता का संदेश दिया। एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "कोई अस्पष्टता नहीं- केवल गर्मजोशी, सम्मान और गर्व। एनडीए एकजुट है।"

    विपक्ष ने क्यों चली ये चाल?

    एक तरफ जहां भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने राधाकृष्णन का नाम घोषित करके साउथ का कार्ड चला और तमिलनाडु में कांग्रेस की सहयोगी डीएमके के लिए दुविधा पैदा की। तो वहीं कुछ घंटों बाद इंडी गठबंधन ने भी काउंटर करते हुए साउथ वाली चाल चली और सुदर्शन रेड्डी के नाम का एलान करके एनडीए की सहयोगी टीडीपी के लिए परेशानी खड़ी करने की कोशिश की। इस कदम के पीछे का मकसद विपक्ष से गठबंधन न रखने वाली तेलुगु भाषी पार्टियों का समर्थन जुटाना था।

    इसमें मुख्य टारगेट एनडीए की सहयोगी टीडीपी थी। अब टीडीपी के सामने भी वही सवाल था, जो डीएमके के सामने था कि क्या वो अपने स्थानीय उम्मीदवार के खिलाफ वोटिंग करेगी? ऐसे में टीडीपी ने वही किया जो डीएमके ने किया। डीएमके ने अपना रुख साफ करते हुए कहा था कि वो राधाकृष्णन के चयन को भाषा या स्थानीय उम्मीदवार के चश्मे से नहीं बल्कि एक राजनीतिक नजरिए से देखती है।

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