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    CM योगी आदित्यनाथ बोले- किसानों से दुर्व्यवहार कतई बर्दाश्त नही, किसानों को करें जागरूक

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 07 Nov 2020 06:54 AM (IST)

    Parali Burning Issue मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पराली जलाने से होने वाली क्षति के प्रति किसानों को जागरूक करें। किसी भी स्थिति में कहीं भी इस मुद्दे पर किसानों से बदसलूकी सहन नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा पराली को लेकर कई गाईडलाइन जारी की जा चुकी हैं।

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    सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी कहीं भी पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है

    लखनऊ, जेएनएन। पराली जलाने को प्रदेश में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। ऐसे में पुलिस प्रदेश में पराली जलाने वाले किसानों के प्रति कड़ी कार्रवाई कर रही है। पुलिस की इस कार्रवाई पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेहद नाराजगी जताई है। मुख्यमंत्री ने साफ लफ्जों में कहा है कि किसानों के साथ दुर्व्यवहार कतई बर्दाश्त नहीं होगा। इसके साथ ही उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह लोग पराली जलाने वाले किसानों को इससे होने वाले नुकसान तथा इसके उपयोग के प्रति जागरूक करें।

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    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पराली ( फसल अपशिष्ट) जलाने से होने वाली क्षति के प्रति किसानों को जागरूक करें। किसी भी स्थिति में कहीं भी इस मुद्दे पर किसानों से बदसलूकी सहन नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि पराली को लेकर पहले ही कई गाईडलाइन जारी की जा चुकी हैं। अब सूबे में अभियान चलाकर अधिकांश किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और नहीं जलाने से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी जाए। उन्हेंं बताएं कि पराली जलाना पर्यावरण के साथ आपकी जमीन की उर्वरा शक्ति के लिए भी ठीक नहीं है।

    सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल) ने देश में कहीं भी पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है। किसान ऐसा करने की जगह उन योजनाओं का लाभ उठाएं जिससे पराली को निस्तारित कर उसे उपयोगी बनाया जा सकता है। सरकार ऐसे कृषि यंत्रों पर अनुदान भी दे रही है।

    कई जगह किसानों ने इन कृषि यंत्रों के जरिए पराली को कमाई का जरिया बनाया है। बाकी किसान भी इनसे सीख ले सकते हैं। किसानों के ये सारी चीजें बताई जानी चाहिए। पराली के साथ फसल के लिए सर्वाधिक जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के साथ अरबों की संख्या में भूमि के मित्र बैक्टीरिया और फफूंद भी जल जाते हैं। यही नहीं, बाद में भूसे की भी किल्लत बढ़ जाती है।