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    1942 सिख तीर्थयात्री अटारी-वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान रवाना, 12 हिंदू तीर्थयात्रियों को नहीं मिला एंट्री

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 05:02 AM (IST)

    गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती मनाने के लिए 1942 सिख तीर्थयात्रियों का जत्था अटारी-वाघा सीमा से पाकिस्तान रवाना हुआ। जत्थे का नेतृत्व कुलदीप सिंह गडगज्ज ने किया। 300 से अधिक वीज़ाधारियों को अनुमति नहीं मिली, जिसके कारण उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया। पाकिस्तान ने 12 हिंदू तीर्थयात्रियों को भी वापस भेज दिया, जिससे निराशा हुई।

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    जागरण संवाददाता, अटारी (अमृतसर)। भारत से 1,942 सिख तीर्थयात्रियों का एक जत्था प्रथम गुरु, श्री गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती मनाने के लिए अटारी-वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान के लिए रवाना हुआ। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार कुलदीप सिंह गडगज्ज के नेतृत्व में, यह जत्था "बोले सो निहाल सत श्री अकाल" के जयघोष के साथ रवाना हुआ और वाघा सीमा पर पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और वक्फ बोर्ड के अधिकारियों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।

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    श्री गुरु नानक देव जी की जयंती 5 नवंबर को भारत और पाकिस्तान के श्रद्धालुओं के साथ-साथ विदेशों से भी श्रद्धालु उनके जन्मस्थान, पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब में मनाएंगे। सिख तीर्थयात्रियों ने अपनी वर्षों की श्रद्धा व्यक्त की और आशा व्यक्त की कि पवित्र तीर्थस्थल के दर्शन उनके जीवन को सार्थक बनाएंगे। 1,942 तीर्थयात्री तो रवाना हो गए, लेकिन 300 से ज़्यादा वीज़ाधारी तीर्थयात्रियों को लंबित अनुमति और कागजी कार्रवाई में त्रुटियों के कारण पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं मिली।

    वे देर शाम तक अनुमति का इंतज़ार करते रहे, लेकिन अनुमति नहीं मिली। इसी गुस्से में उन्होंने अटारी सीमा पर धरना दिया और भारत सरकार से पाकिस्तान में धार्मिक स्थलों पर जाने की अनुमति देने की गुहार लगाई। देर शाम, जब अनुमति नहीं मिली, तो उन्होंने भारत-पाकिस्तान अटारी-वाघा सीमा पर जाने वाले पर्यटक वाहनों को रोक दिया। उनका कहना था कि ध्वजारोहण समारोह देखने जा रहे पर्यटकों के वाहनों को सरकार तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के लिए रोका गया था।

    डीएसपी अटारी यादविंदर सिंह ने वाहनों को पार्किंग में खड़ा करवाया और पर्यटकों को दर्शक दीर्घा तक पहुँचाया ताकि वे ध्वजारोहण समारोह से वंचित न रहें। श्रद्धालु देर शाम तक पाकिस्तान जाने के लिए अटारी सीमा पर इंतज़ार करते रहे। इनमें से कुछ तीर्थयात्री गहरा दुःख व्यक्त करते हुए देर शाम अपने घरों के लिए रवाना हो गए। पाकिस्तान सीमा शुल्क एवं आव्रजन विभाग ने एक भारतीय सिख समूह के साथ यात्रा कर रहे 12 हिंदू तीर्थयात्रियों को वापस भेज दिया।

    पाकिस्तान सीमा शुल्क एवं आव्रजन विभाग ने एक सिख समूह के साथ पाकिस्तान जा रहे 12 हिंदू तीर्थयात्रियों को वापस भेज दिया। अटारी आईसीपी चेकपोस्ट पर तैनात सीमा शुल्क एवं आव्रजन विभाग ने समूह के साथ आए हिंदू तीर्थयात्रियों को प्राथमिकता दी थी ताकि वे समय पर पाकिस्तान से प्रस्थान कर सकें।

    इन हिंदू तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के वाघा बॉर्डर स्टेशन पर कई घंटों तक रोका गया। पाकिस्तान ने कहा कि यह एक सिख समूह था। हिंदू तीर्थयात्री सिख समूह के साथ यात्रा नहीं कर सके, जिससे संकेत मिलता है कि पाकिस्तान हिंदुओं और सिखों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहा है। भारतीय हिंदू तीर्थयात्री बहुत दुखी होकर भारत लौट आए। वे पाकिस्तान में अपने जन्मस्थान गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब के दर्शन करने के लिए उत्सुक थे।

    उन्होंने कहा कि उनकी उम्मीदें तब टूट गईं जब उन्हें पाकिस्तानी सरकारी अधिकारियों ने वाघा बॉर्डर से वापस भेज दिया। यह पाकिस्तानी हिंदू परिवार बहुत समय पहले भारत आया था और उसे भारत ने स्थायी नागरिकता प्रदान की थी। इसलिए उन्हें वापस भारत भेज दिया गया।