'बहुत डर लगा, धुंआ उठता देखा, सब अधूरा रह गया...' ; नेपाल दर्शन के लिए पंजाब से गए 92 टूरिस्ट ने बताई आपबीती
अमृतसर से नेपाल गए श्रद्धालुओं का जत्था वहां कर्फ्यू लगने के कारण मुश्किलों में फंस गया। धार्मिक स्थलों के दर्शन अधूरे रहे होटल में कैद रहे और राशन की समस्या हुई। हिंसा और आगजनी के माहौल में वे भयभीत थे। अब हालात सुधरने पर वे सुरक्षित भारत लौट रहे हैं। उन्होंने नेपाल के मौजूदा हालातों पर चिंता जताई है।

कमल कोहली, अमृतसर। नेपाल के हालात काफी खराब हैं। हम धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए गए थे। परंतु उनका जो प्लान था वह अधूरा रह गया तथा कई धार्मिक स्थलों को देखने से वंचित रहना पड़ा जिस जगह पर वो गए थे वहां पर कर्फ्यू लग गया तथा उनको दो दिन होटल में ही रहना पड़ा।
वे अपना भोजन खुद तैयार करते थे परंतु उनका राशन लेने के लिए काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा व सामान भी बड़ी मुश्किल से महंगा खरीदना पड़ा।
यह बात अमृतसर से नेपाल में धार्मिक स्थलों के दर्शन करने गए लोगों द्वारा की गई।
दैनिक जागरण ने जब नेपाल गए लोगों से संपर्क किया तो वह सभी अमृतसर के लोग वीरवार को नेपाल बॉर्डर में बैठे हुए थे तथा भारत में प्रवेश करने की प्रक्रिया से गुजर रहे थे। उन्होंने बताया कि नेपाल के हालात ठीक नहीं है। जगह-जगह पर वहां के लोगों द्वारा हिंसा की जा रही है टायरों को आग लगाई जा रही है। कर्फ्यू लगा हुआ है जिस कारण उनका काफी मुश्किल आ रही थी।
अमृतसर से 3 सितंबर को श्री गोविंद यात्रा सेवा परिवार का 92 यात्रियों का जत्था नेपाल दर्शन यात्रा के लिए रवाना हुआ था। रिंकू बटवाल ने कहा कि 4 सितंबर को नेपाल पहुंचे थे। वहां के हालात बिल्कुल ठीक है। सबसे पहले वह काठमांडू में दर्शन कर लिए थे। उसके बाद क्षेत्र पोखरा में मां के दर्शन करने के लिए गए थे।
लेकिन पोखरा में ही हालत खराब हो गए तथा उसके बाद उनको होटल में ही रहना पड़ा। चारों तरफ आग का दृश्य दिखाई दे रहा था। इसलिए वह होटल से दो दिन तक बाहर नहीं निकले तथा आज वह वीरवार को खुश हालात ठीक होने के कारण वापस भारत आ रहे हैं। नेपाल का वाटर पार्क का लिया है तथा वह अब गोरखपुर के जरिये हवाई जहाज से अमृतसर आ रहे हैं।
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पंजाब टूरिस्ट ने बताई आपबीती
नेपाल के हालात अस्थिर हैं। नेपाल में अन्य धार्मिक स्थलों को भी देखना था। लेकिन हालात को देखते हुए वह वापस आ रहे हैं। जत्थे का नेतृत्व कर रहे रिंकू बटवाल ने कहा कि सबसे पहले वह बिहार बॉर्डर के नजदीक नेपाल साइड की ओर सीता माता जन्मस्थली सीतामढ़ी के दर्शन किए थे।
उसके बाद मथुरा जनकपुर की यात्रा की तथा दर्शन किए तथा श्री रामचंद्र तथा जानकी माता विवाह मंडप मंदिर एवं जानकी मंदिर के दर्शन किए। उसके बाद सभी यात्री काठमांडू गए तथा भगवान शंकर जी का पशुपतिनाथ मंदिर देखा तथा साथ में मंदार शक्ति पीठ गुहेश्रवरी देवी एवं काठमांडू में स्थित अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन किए।
वहीं पर हिमालय की गोद में बसे नेपाल की पहाड़ी क्षेत्र पोखरा आठ सितंबर को पहुंचे तथा वहां पर मनोकामना देवी सिद्ध पीठ के भी दर्शन किए पर तो उसके बाद एकदम नेपाल के हालात खराब हो गया तथा पोखरा में भी हो गया। उन्होंने पहले ही होटल बुक करवाया हुआ था तथा होटल से सुरक्षा की दृष्टि से बाहर बिल्कुल नहीं गए। होटल के भीतर से शहर में धुआं उठता हुआ दिखाई दे रहा था।
भारत में बैठे रिश्तेदार करते रहे फोन
उनको भारत से भी अपने रिश्तेदारों के फोन आने शुरू हो गए थे। वह भी हमारे लिए परेशान थे वहां जिस तरह की बातें सुन रहे थे। भय का वातावरण तैयार हुआ था। उनके पास राशन समाप्त हो चुका था। बड़ी मुश्किल से राशन लेना पड़ा तथा महंगा भी लेना पड़ा।
जब कर्फ्यू खुलता था तब सामान लेना पड़ता था। जब सेना के पास कंट्रोल आया तो कुछ रास्ते खुले तथा हम वहां से निकलकर नेपाल बॉर्डर पर वीरवार को पहुंचे हैं। सेवा का ही कंट्रोल दिखाई दे रहा था। वीरवार को हम दोपहर बाद भारत के भारत पार करके तथा वीरवार की देर रात तक अमृतसर पहुंच जाएंगे।
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