जिले के छह स्कूलों सहित 11 संस्थानों का पानी पीने लायक नहीं
जिले के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को दूषित पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है।

नितिन धीमान, अमृतसर
जिले के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को दूषित पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। स्टेट पब्लिक हेल्थ लैबोरेट्री खरड़ की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जिले के छह स्कूलों सहित कुल 11 संस्थानों का पानी पीने योग्य नहीं है। पानी में बैक्टीरियल कंडेमनेशन यानी जल संदूषण पाया गया है।
इनमें सरकारी एलिमेंट्री स्कूल सत्तोवाल, सरकारी एलिमेंट्री स्कूल शाहपुर, सरकारी एलिमेंट्री स्कूल कम्मोके, सरकारी सीसे स्कूल रइया, फोरएस माडर्न स्कूल अमृतसर, सीएचसी स्कूल मानांवाला, सरकारी एलिमेंट्री स्कूल ठट्ठियां में दूषित जल मिला है। इन स्कूलों में सबमर्सिबप पंप लगे हैं, यानी भूमिगत जल से बच्चों का गला तर किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त संधू स्टेडियम मानांवाला, वडाली डोगरां गांव, बाबे दा दरबार देवीदास व सिविल अस्पताल बाबा बकाला के पानी के सैंपल भी फेल पाए गए हैं।
भूमिगत जल स्तर प्राप्त करने के लिए स्कूलों में किए गए बोर की गहराई 120 से 200 फुट तक है। नियम अनुसार 600 फुट गहराई पर शुद्ध जल प्राप्त होता है, लेकिन सरकारी स्कूलों में वर्षो पूर्व लगाए गए सबमर्सिबल पंप को अपग्रेड नहीं किया गया। खतरनाक पहलू यह भी है कि उपरोक्त स्कूलों में आरओ सिस्टम नहीं लगाए गए। रिपोर्ट में साफ किया गया है कि इस पानी का प्रयोग बच्चों के लिए न किया जाए। बच्चों को पेट से जुड़ी बीमारियां हो रहीं
भूमिगत जल का सीधे दोहन कर छात्रों को पिलाया जा रहा है। यही वजह है कि इन स्कूलों के ज्यादातर बच्चों को पेट संबंधी बीमारियां घेर रही हैं। कई बच्चों को अपच, सांस फूलना, उल्टी, जी मिचलाना, सिरदर्द, बुखार आदि की शिकायत हो चुकी है। दूषित पानी से होने वाली बीमारियां
दूषित पानी का सेवन कई बीमारियों को आमंत्रण देता है। इनमें हैजा, टायफायड और वायरल हैपेटाइटिस शामिल हैं। ये बीमारियां ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को होती हैं। सैंपल रिपोर्ट मंगवाई, अब सरकार उचित प्रबंध करे : डीईओ
डीईओ एलिमेंट्री राजेश शर्मा ने कहा कि हमने सैंपल की रिपोर्ट मंगवाई है। गांवों में स्थित स्कूलों में पानी की आपूर्ति गांवों के बड़े ट्यूबवेल से होनी चाहिए। बड़े ट्यूबवेल का बोर 500 से 600 फुट का होता है। स्कूलों के बोर महज 200 फुट हैं। यही वजह है कि दूषित पानी आ रहा है। सरकार को इसके लिए प्रबंध करना चाहिए। बच्चों के शारीरिक विकास पर पड़ता है असर: डा. मनिंदर सिंह
श्री गुरु रामदास अस्पताल में कार्यरत एमडी मेडिसिन डाक्टर मनिदर सिंह का कहना है कि पानी में सीवरेज का पानी मिश्रित होने से ऐसी समस्या आ सकती है। उद्योगों का अपशिष्ट भी जल को प्रदूषित कर रहा है। इसके सेवन से स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। बच्चों की हड्डियों का विकास धीमा हो जाता है और कैल्शियम की कमी से शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। ऐसे में यह जरूरी है कि बच्चों को शुद्ध जल ही दिया जाए।

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