हो जाएं सावधान! पंजाब में पड़ेगी कड़ाके की ठंड, 2 डिग्री से भी नीचे जाएगा तापमान
इस बार भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ने की आशंका है, जिसकी मुख्य वजह ला-नीना है। दिसंबर-जनवरी में तापमान सामान्य से नीचे रहने का अनुमान है। पंजाब समेत उत्तर भारत में शीतलहर का असर दिखेगा। मौसम विभाग ने घने कोहरे और तापमान में गिरावट की चेतावनी दी है। अगले कुछ दिनों में कई राज्यों में तापमान 7-10 डिग्री तक गिर सकता है। ला-नीना बारिश और हवाओं को भी प्रभावित करेगा।
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पंजाब में कड़ाके की ठंड का अलर्ट जारी।
जागरण ब्यूरो, चंडीगढ़। भारत में इस बार सर्दी के तेवर तीखे रहने के संकेत मिल रहे हैं। दिसंबर से जनवरी के बीच देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान सामान्य से नीचे जा सकता है। इसका प्रमुख कारण ला-नीना जलवायु घटना को माना जा रहा है, जो प्रशांत महासागर में समुद्री सतह के तापमान में गिरावट से बनती है। इसके प्रभाव से ठंडी हवाएं अधिक सक्रिय होती हैं।
पंजाब समेत उत्तर भारत में शीतलहर का असर लंबा खिंचता है। भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) का अनुमान है कि दिसंबर में रात का तापमान सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस तक नीचे जा सकता है। पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में ठंड का असर सबसे ज्यादा महसूस होगा।
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में बर्फबारी के चलते मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं और कोहरा बढ़ेगा। आइएमडी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आने वाले दो महीनों में घना कोहरा, शीतलहर व न्यूनतम तापमान में तेज गिरावट देखने को मिल सकती है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि ला-नीना की स्थिति नवंबर से जनवरी तक बनी रह सकती है।
स्काईमेटवेदर सर्विस के अनुसार यह ला-नीना कमजोर जरूर रहेगा, लेकिन ठंड की तीव्रता पर इसका असर स्पष्ट होगा। ला-नीना के दौरान उत्तर और मध्य भारत में पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय रहने से बर्फबारी की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इससे न केवल रातें ठंडी होती हैं बल्कि सुबह में कोहरा और नमी भी बढ़ जाती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में सर्दी ने पहले ही दस्तक दे दी है।
चार दिन में न्यूनतम तापमान सात से 10 डिग्री में पहुंच जाएगा
अगले तीन से चार दिनों में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख में कई स्थानों पर, जबकि पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर न्यूनतम तापमान सात से दस डिग्री के बीच रह सकता है। ला-नीना का प्रभाव केवल तापमान तक सीमित नहीं है। यह बारिश और हवाओं के पैटर्न को भी प्रभावित करता है।

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