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    CHB के मकानों में जरूरत मुताबिक बदलाव को मंजूरी पर मंथन, need-based change पॉलिसी पर हट सकती है रोक

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Thu, 27 Nov 2025 12:37 PM (IST)

    चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) के मकानों में जरूरत के मुताबिक बदलावों को नियमित करने के लिए मंथन शुरू हो गया है। प्रशासक ने सीएचबी को 2023 की नीति की समीक्षा कर लागू करने के निर्देश दिए हैं, जिससे 62 हजार मकानों में रहने वाले लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। 90 प्रतिशत से ज्यादा मकानों में हुए बदलाव को प्रशासन ने वॉयलेशन माना है।  

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    सीएचबी फिलहाल मकानों में किसी प्रकार की अनुमति नहीं दे रहा।

    राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) के मकानों में जरूरत मुताबिक बदलाव को नियमित करने के लिए सिफारिशों पर मंथन फिर से शुरू हो गया है। करीब तीन साल बाद नीड-बेस्ड चेंजेज पाॅलिसी पर लगी रोक हटाने की दिशा में इस कदम को माना जा रहा है। प्रशासक ने सीएचबी के अधिकारियों को को 3 जनवरी 2023 को अधिसूचित नीति की समीक्षा कर उसे लागू करने के निर्देश दिए हैं।

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    इस समय सीएचबी के 62 हजार मकानों के नीड बेस्ड चेजिंज का अहम मुद्दा है। चुनाव में राजनीतिक दलों की ओर से लोगों को वादा भी किया जाता है। पॉलिसी लागू होने के कारण अलाॅटीज को जो परेशानी आ रही है उससे राहत मिलेगी, क्योंकि बोर्ड फिलहाल उनके मकानों में किसी भी प्रकार के बदलाव की अनुमति नहीं दे रहा है। उसे वाॅयलेशन माना जाता है।

    सीएचबी के मकानों में रहने वाले लोग निरंतर इसकी मांग कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बैठक में प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने सीएचबी अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित नीड-बेस्ड बदलावों की दोबारा जांच करने और नीति को लागू करने के विकल्प तलाशने को कहा है।

    सीएचबी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार प्रशासक के निर्देशों के बाद यूटी के मुख्य सचिव एच. राजेश प्रसाद अगले दो से तीन दिनों में समीक्षा बैठक बुला सकते हैं। प्रशासक का मानना है कि नीति के लागू होने से लोगों बड़ी राहत मिलेगी। बोर्ड के अपने रिकाॅर्ड बताते हैं कि 90 प्रतिशत से अधिक निवासी किसी न किसी नियम का उल्लंघन कर रहे हैं।

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2023 की पाॅलिसी पर रोक

    3 जनवरी 2023 की नीड-बेस्ड पाॅलिसी को सुप्रीम कोर्ट के 10 जनवरी 2023 के आदेश के बाद रोक दिया गया था। कोर्ट ने सेक्टर 1 से 30 तक आवासीय यूनिटों को फ्लोर-वाइज अपार्टमेंट्स में बदलने पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि इन सेक्टरों में पुनघनत्व के मुद्दे पर चंडीगढ़ हेरिटेज कमेटी विचार करे।

    इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने यूटी प्रशासन को निर्देश दिया था कि हेरिटेज कमेटी की सिफारिशों के आधार पर चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 और 2017 के अपार्टमेंट रूल्स में आवश्यक संशोधन पर विचार किया जाए। इन संशोधनों को बाद में केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेजना अनिवार्य होगा। लोगों के अनुसार जरूरत के अनुसार बदलाव के लिए नीति लाने से लोगों को स्थायी हल नहीं मिलेगा। लोगों को चाहिए कि एक बार एक मुश्त राहत दी जाए।

    साल 2013 में इन सिफारिशों की अधिसूचना की गई थी जारी, जो कि लागू नहीं हो पाई

    • सामने और पीछे की ओर 3 फीट (914 मिमी) चौड़ी बालकनी की अनुमति दी गई थी, इसके लिए स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी आवश्यक है।
    • मानक डिजाइन के अनुसार दरवाज़ों और खिड़कियों पर 14 इंच तक के छज्जे लगाए जा सकते हैं।
    • काॅर्नर डेवेलिंग यूनिट्स में निर्धारित स्थानों पर अतिरिक्त खिड़कियों की अनुमति दी गई थी।
    • खिड़कियों की सिल को फर्श से 4 इंच ऊंचाई तक नीचा किया जा सकता है।
    • 115 मिमी (4.5 इंच) से पतली दीवारें हटाई जा सकती हैं। मोटी दीवारों को हटाने से पहले स्ट्रक्चरल इंजीनियर का प्रमाणपत्र जरूरी होगा।

    पाइप फ्रेम और पारदर्शी शीट से बना टेम्परेरी कार शेड केवल बाॅउंड्री वाॅल के भीतर लगाया जा सकता है।