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    चंडीगढ़: ड्यूटी पर सोने के कारण बर्खास्त हुआ था CRPF जवान, कोर्ट ‘नागरिक मृत्यु’ जैसी सजा कहकर रद की सजा

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 08:28 PM (IST)

    पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सीआरपीएफ कॉन्सटेबल की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया जिसे ड्यूटी के दौरान सोने पर बर्खास्त किया गया था। कोर्ट ने इसे अत्यधिक असंगत सजा बताते हुए कहा कि अनुशासन का मतलब कठोर दंड नहीं है। कॉन्सटेबल मानसिक दबाव में था और उसका सेवा रिकॉर्ड भी अच्छा रहा है।

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    ड्यूटी पर सोने पर बर्खास्तगी आदेश पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किया रद्द (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने ड्यूटी के दौरान मात्र दो घंटे सो जाने पर बर्खास्त किए गए सीआरपीएफ कॉन्सटेबल को बड़ी राहत देते हुए बर्खास्तगी का आदेश रद कर दिया है। कोर्ट ने इसे अत्यधिक असंगत सजा करार देते हुए कहा कि यह एक तरह से नागरिक मृत्यु जैसा है, जिससे पूरे करियर और आजीविका का अंत हो जाता है।

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    जस्टिस संदीप मौदगिल ने अपने आदेश में कहा कि अनुशासन सुरक्षा बलों की रीढ़ है, लेकिन इसका अर्थ कठोर दंड देना नहीं होता। सजा हमेशा अपराध के अनुरूप होनी चाहिए और आरोपी की परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।

    मामले में सामने आया कि कॉन्सटेबल जब ड्यूटी पर देर से पहुंचे और थोड़ी देर सो गए, उस समय वे अपनी मां की गंभीर बीमारी के मानसिक दबाव से गुजर रहे थे। मेडिकल रिकार्ड से यह तथ्य प्रमाणित भी हुआ। कोर्ट ने माना कि वे न तो ड्यूटी स्थल से अनुपस्थित थे और न ही स्टेशन असुरक्षित छोड़ा गया था। उनके खिलाफ नशे में होने का कोई आरोप भी साबित नहीं हुआ।

    हाईकोर्ट ने कहा कि लगभग 15 साल की सेवा, बहादुरी के लिए मिले सम्मान और लंबे अनुभव को देखते हुए कॉन्सटेबल को केवल एक गलती पर बर्खास्त करना न्यायोचित नहीं है। यह सजा उनके किए गए कृत्य की तुलना में बिल्कुल असंगत है।

    कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कॉन्सटेबल पर सीआरपीएफ अधिनियम, 1949 की धारा 11(1) के तहत कार्रवाई हुई थी, जो केवल लघु अपराधों के लिए है। इसमें अधिकतम फटकार या हल्की सजा का ही प्रविधान है। लेकिन अधिकारियों ने घटना को अनुचित रूप से “ड्यूटी से अनुपस्थिति” और “आदेश की अवहेलना” जैसे दो अलग-अलग आरोपों में बदल दिया।

    हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले मिले दंड पहले ही भुगते जा चुके हैं, उन्हें मौजूदा मामले का आधार बनाना अनुचित है। उनका सेवा रिकार्ड बहादुरी और सराहना से भरा हुआ है। इसलिए मां की बीमारी और अन्य परिस्थितियों को देखते हुए बर्खास्तगी कानून की कसौटी पर टिकने योग्य नहीं है। इसी आधार पर अदालत ने कॉन्सटेबल की बर्खास्तगी का आदेश रद कर दिया।